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इस खौफ के कारण फाइटर जेट के साथ सऊदी अरब पहुंचे रूसी राष्ट्रपति पुतिन
(नेशनल डेस्क) रियाद। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सऊदी अरब की यात्रा के दौरान एक तीर से कई शिकार किए हैं। एक ओर तो उन्होंने हमले के डर से अपने विमान के चारों को ओर सुखोई 35 जेट का घेरा बना दिया, वहीं उन्होंने सऊदी अरब के सामने उन्हीं फाइटर जेट की नुमाइश भी कर दी। पुतिन का खौफ इसलिए भी था, क्योंकि खाड़ी के देशों में अभी जंग के हालात हैं और इसे देखते हुए अमेरिका ने वहां अपने जंगी बेड़े तैनात कर रखे हैं।
पुतिन सबसे पहले यूएई के राष्ट्रपति से मिले। अमेरिका के करीबी सहयोगी देश यूएई में पुतिन के स्वागत के लिए लाल कालीन बिछाई गई थी और हर तरफ रूसी झंडे दिखाई दे रहे थे। इसके बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन सऊदी अरब की यात्रा पर पहुंचे जहां प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया। पुतिन ने खाड़ी देशों की यह यात्रा ऐसे समय पर की है जब इजरायल और हमास के बीच जोरदार युद्ध चल रहा है। यही नहीं इस पूरे इलाके में हजारों की तादाद में अमेरिकी सैनिक और महाविनाशक परमाणु एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों के इसी खतरे को देखते हुए पुतिन पहली बार देश के सबसे आधुनिक सुखोई-35 फाइटर जेट के साथ खाड़ी देशों की यात्रा पर पहुंचे थे।
उड़ते किले में बंद थे पुतिन
दरअसल, यूक्रेन पर हमले की वजह से पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है और रूसी राष्ट्रपति विदेश यात्राओं से बच रहे हैं। यहां तक कि पुतिन जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत की यात्रा पर नहीं आए थे। पुतिन अब तक अपने कई विदेश दौरों को कैंसल कर चुके हैं। पुतिन खाड़ी देशों की इस यात्रा को अपने Il-96PU विमान के साथ की जिसे चलता-फिरता किला कहा जाता है। पुतिन के साथ 4 सुखोई-35 फाइटर जेट चल रहे थे। इन फाइटर जेट ने रूसी राष्ट्रपति की पूरी यात्रा के दौरान साये की तरह से उनकी सुरक्षा की। यूएई और सऊदी अरब ने अभी तक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत के साथ समझौते को मंजूरी नहीं दी है।
विमानों में लगी थीं किलर मिसाइलें
इसी वजह से पुतिन गिरफ्तारी के डर के बिना सऊदी अरब और यूएई की धरती पर कदम रख सके। विश्लेषकों का मानना है कि सुखोई फाइटर जेट के साथ आना एक तरफ जहां पुतिन के डर को जता रहा था, वहीं रूसी राष्ट्रपति ने अपने सबसे घातक फाइटर जेट के साथ यात्रा करके दुनिया के सामने अपनी बेजोड़ ताकत का प्रदर्शन किया। यही नहीं रूस ने इन विमानों को दिखाकर खाड़ी देशों को ललचाने की भी कोशिश की ताकि वे इसे खरीद लें। यूक्रेन युद्ध के बाद से ही रूसी हथियारों की बिक्री में भारी गिरावट आई है।
रूस ने ली थी खास मंजूरी
रूस के ये चारों ही फाइटर जेट R-77 और R-73 एयर टु एयर मिसाइलों से लैस थे। इससे पहले भी रूस ने वीवीआईपी विमानों को सुरक्षा देने के लिए फाइटर जेट तैनात किए हैं, लेकिन इतने देशों के हवाई क्षेत्र से गुजरते हुए पुतिन के विमान Il-96 को सुरक्षा देने के लिए 4 फाइटर जेट ले जाना पहली बार हुआ है। रूसी विमानों की तैनाती पर क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा कि पुतिन के विमान के दौरे के दौरान 4 सुखोई विमान साथ चल रहे थे, जो रूसी हवाई ठिकाने से उड़े थे। इन विमानों पर विभिन्न तरीके के हथियार लगे हुए थे। बताया जा रहा है कि इतने देशों के ऊपर से फाइटर जेट के उड़ान भरने के लिए रूस ने विशेष मंजूरी ली थी।
इन रास्तों से यूएई पहुंचा रूसी राष्ट्रपति का विमान
रूसी राष्ट्रपति का विमान कैस्पियन सागर और ईरान के ऊपर से होकर यूएई पहुंचा था। बता दें कि सुखोई-35 फाइटर जेट में यूएई ने भी रुचि दिखाई है लेकिन अभी तक यह समझौता नहीं हो सका है। यूएई के पास अमेरिकी एफ-16 से लेकर राफेल फाइटर जेट तक मौजूद हैं। अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी राष्ट्रपति ने सुखोई विमानों को लाकर खाड़ी देशों को ललचाने की कोशिश की है। रूस इस विमान को ईरान को भी बेच रहा है जो यूएई और सऊदी का धुर विरोधी देश है।
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