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नई दिल्ली। मौसम विभाग का अनुमान है कि चक्रवाती तूफ़ान निवार (Nivar Cyclone) 25 नवंबर को तमिलनाडु के मामल्लपुरम और पुडुचेरी के कराईकल तटों को पार कर सकता है। निवार नाम का यह तूफान तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारी तबाही मचा सकता है। निवार से पहले भारत ने एम्फन, निसर्ग और फणि को भी देखा है। आज हम जिक्र करेंगे इनके नामकरण की एक दिलचस्प प्रक्रिया के बारे में ..
सबसे पहले बात करते हैं निवार चक्रवात की, इसका नामकरण ईरान (Iran) ने किया है। निवार का अर्थ है रोकथाम करना। साथ ही निसर्ग, जिसका अर्थ प्रकृति था, इसका नामकरण बांग्लादेश ने किया था। नवंबर 2017 में आए ओखी चक्रवात (Okhi Cyclone) का नाम भी बांग्लादेश ने ही दिया था। इसका अर्थ आंख होता है। इसके अलावा सागर का नाम भारत ने सुझाया था।
हाल ही में 22 नवंबर को सोमालिया में जो चक्रवाती तूफान आया था, उसका नामकरण भारत ने किया है। इसे ‘गति’ नाम दिया गया। फणि का नाम भी बांग्लादेश ने ही सुझाया था। नवंबर 2017 में आए ओखी चक्रवात का नाम भी बांग्लादेश ने ही किया था। इसका अर्थ आंख होता है। इसके बाद सागर का नाम भारत ने सुझाया था। तीन दिन पहले
वर्ष 2000 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) और विश्व मौसम संगठन (WMO) ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले चक्रवातों को नाम देने की प्रक्रिया शुरू हुई। 2018 में इन देशों के पैनल में सऊदी अरब, ईरान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यमन का नाम भी जुड़ा। इस पैनल का काम चक्रवातों के नाम तय करना है।
वर्ष 2000 में इसे लेकर विश्व मौसम संगठन (WMO) युनाइटेड नेशन इक्नॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पेसेफिक के 27वें सत्र में इसे लेकर सहमति बनी कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वालें तूफानों का नामकरण किया जाएगा। इसके बाद भारत ने इस पर पहल शुरु की। जिसके बाद 2004 में इसकी व्यवस्था शुरू हुई। इन क्षेत्रों में उठने वाले ऐसे किसी भी तूफान का नाम रखना जरूरी है। जिसकी रफ्तार 34 किमी नॉटिकल मील प्रति घंटा से अधिक होगी। इसके तहत भारत का मौसम विभाग उत्तर हिंद महासागर में उठने वाले तूफानों का नामकरण करता है।
एक नॉटिकल मील नाविकों/ या शिपिंग और विमानन में नाविकों द्वारा पानी पर इस्तेमाल किया माप की एक इकाई है। यह पृथ्वी के एक महान चक्र के साथ एक डिग्री के एक मिनट की औसत लंबाई है। एक नॉटिकल मील से एक मिनट से मेल खाती है अक्षांश । इस प्रकार, अक्षांश की डिग्री लगभग 60 नॉटिकल मील की दूरी पर अलग कर रहे हैं। इसके विपरीत, की डिग्री के बीच समुद्री मील की दूरी देशांतर क्योंकि देशांतर की तर्ज एक साथ करीब वे ध्रुवों पर अभिसरण के रूप में बन स्थिर नहीं है।
अटलांटिक क्षेत्र की बात करें तो इसकी शुरुआत 1953 में एक संधि के माध्यम से हुई जिसकी पहल मियामी स्थित राष्ट्रीय हरिकेन सेंटर ने की। इसे लेकर एक मजेदार तथ्य ये भी सामने आता है कि ऑस्ट्रेलिया द्वारा पहले तूफानों का नाम भ्रष्ट नेताओं के नाम पर सुझाया जाता था। अमेरिका में आने वाले तूफानों के नाम अधिकतर महिलाओं के नाम पर रखे जाते रहे। 1979 के बाद इसमें बदलाव किए गए और इसमें पुरुषों के नाम भी शामिल किए जाने लगे। उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में आने वाले तूफानों के ज्यादातर नाम फूलों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों, खाद्य पदार्थों के नाम पर रखे गए हैं।
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