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गहलोत के भाई अग्रसेन के घर पर ED की Raid, पीपीई किट पहनकर दस्तावेजों की जांच में जुटी टीम
जयपुर। राजस्थान में सियासी हंगामे के बीच सीएम अशोक गहलोत के करीबियों पर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। फर्टिलाइजर घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) आज कई जगहों पर छापेमारी कर रही है। ईडी की छापेमारी (Raid) सीएम गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के घर पर भी जारी है। छापे के दौरान ईडी की टीम पीपीई किट पहनकर पहुंची। टीम गहलोत के भाई के घर दस्तावेजों की जांच में जुटी हुई है। ईडी राजस्थान में जोधपुर समेत 6 जगहों, पश्चिम बंगाल में दो जगहों, गुजरात में चार जगहों और दिल्ली में एक जगह पर छापेमारी कर रही है। अग्रसेन गहलोत की कंपनी अनुपम कृषि पर किसानों के लिए रियायतों दरों में खरीदी उर्वरक को अधिक दामों पर मलेशिया और वियतनाम को बेचने का आरोप है। ईडी के मुताबिक, यह 150 करोड़ का घोटाला है।
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फर्टिलाइजर घोटाले में आया था नाम
बीते दिनों ही सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के भाई अग्रसेन गहलोत का नाम फर्टिलाइजर घोटाले में आया था। आरोप है कि अग्रसेन गहलोत ने 2007 से 2009 के बीच किसानों के लिए ली गई उर्वरक को प्राइवेट कंपनियों को दिया गया। इस दौरान केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी और राज्य में अशोक गहलोत सीएम थे। दरअसल, म्यूरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) निर्यात के लिए प्रतिबंधित है। एमओपी को भारतीय पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) द्वारा आयात किया जाता है और किसानों को रियायती दरों पर वितरित किया जाता है। आरोप है कि 2007-2009 के बीच अग्रसेन गहलोत, (जो आईपीएल के लिए अधिकृत डीलर थे) ने रियायती दरों पर MoP खरीदा और किसानों को वितरित करने के बजाय उन्होंने इसे कुछ कंपनियों को बेच दिया। राजस्व खुफिया निदेशालय ने 2012-13 में इसका खुलासा किया था।
बीजेपी ने आरोप लगया था कि राजस्थान (Rajasthan) के तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के भाई की कंपनी ने कथित रूप से सब्सिडी वाले उर्वरक का निर्यात किया, जो घरेलू उपभोग के लिए था। बीजेपी ने कहा था कि अग्रसेन गहलोत की कंपनी ने देश के किसानों के लिए आयात किए जाने वाले उर्वरक, पोटाश के मूरेट का निर्यात किया था। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था, ‘यह सब्सिडी की चोरी का एक स्पष्ट मामला है और यह सब 2007 से 2009 के बीच हुआ, जब कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए केंद्र में सत्ता में थी। उस समय अशोक गहलोत राजस्थान के सीएम थे। जिस तरह सस्ती दर पर उर्वरक का निर्यात किया गया था, संदेह उठाता है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला हो सकता है।’