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मिड डे मील पर खतरे के बादलः शिक्षकों की जेब हो रही खाली, मिड डे मील कार्यकर्ताओं को वेतन नहीं
ऊना। देशभर में स्कूली बच्चों के लिए शुरू की गई दोपहर भोजन की योजना हिमाचल प्रदेश में दम तोड़ती नजर आ रही है। हालत यह है कि ऊना जिला में पिछले 5 महीने से मिड डे मील (Mid Day Meal) के लिए स्कूलों को बजट उपलब्ध नहीं हो रहा है, जिसके चलते बच्चों को दोपहर भोजन उपलब्ध कराने में शिक्षकों (Teachers) की जेब खाली हो रही है, जबकि दूसरी तरफ बच्चों को भोजन बनाने और परोसने वाले मिड डे मील कार्यकर्ता अपने वेतन के लिए सरकार की तरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं।
शिक्षकों के गले की फांस बनी मिड डे मील योजना
बजट की उपलब्धता नहीं होने के चलते मिड डे मील योजना (Mid Day Meal Scheme) शिक्षकों के गले की फांस बन चुकी है। दुकानदारों के उधार बंद कर देने के बाद अवश्य शिक्षकों को अपनी जेब से पैसे निकालकर स्कूली छात्र-छात्राओं का दोपहर भोजन पूरा करना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है की पहली बार मिड डे मील का बजट उपलब्ध नहीं हो पाया है लेकिन 5 महीने तक इस महत्वाकांक्षी योजना का बजट (Budget)स्कूलों तक नहीं पहुंचाना अपने आप में सनसनीखेज मामले के रूप में उभरकर सामने आया है।
मिड डे मील का बजट जल्द हो उपलब्ध
शिक्षकों का कहना है कि सरकार द्वारा बजट उपलब्ध (Available) नहीं करवाने के चलते शिक्षकों द्वारा दुकानों से उधार राशन लेकर इस योजना को जैसे तैसे चलाया जा रहा था, लेकिन अब दुकानदारों ने भी राशन उधार देना बंद कर दिया है जिसके चलते शिक्षकों की जेब से पैसा निकालना शुरू हो चुका है। शिक्षकों ने सरकार से मिड डे मील का बजट जल्द उपलब्ध करवाने की मांग भी की है।
मिड डे मील वर्कर्स को नहीं मिल रहा वेतन
सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए दोपहर भोजन पकाने और परोसने वाली मिड डे मील वर्कर्स (Mid Day Meal Worker) को भी कई महीने से उनका मानदेय नहीं मिला है, जिसके चलते उनकी रसोई का बजट भी बिगड़ता जा रहा है। मिड डे मील बनाने वाली कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार जल्द उनका वेतन जारी करे, ताकि वह भी अपने बच्चों का पालन पोषण सही तरीके से कर सके। प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक देवेंद्र चंदेल का कहना है कि मिड डे मील के बजट के संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है। शिक्षा विभाग (Education Department)ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही स्कूलों में बच्चों के दोपहर भोजन के लिए बजट उपलब्ध कराया जाएगा।