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कोरोना संकट में राहत भरी खबर, आठ टीमें Vaccine बनाने के बेहद करीब
कोरोना संकट जबसे शुरू हुआ है तभी से ये कई लोगों की जान ले चुका है। हर देश के वैज्ञानिकों में इसकी दवा बनाने की होड़ है। इसी बीच एक राहत भरी खबर आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के निदेशक जनरल टेडरॉस एडनॉम ने संयुक्त राष्ट्र (UN) की इकॉनोमिक एंड सोशल कांउसिल को जानकारी दी है कि कोरोना संक्रमण की वैक्सीन बनाने के लिए तेजी से कम चल रहा है और ये अनुमानित वक्त से पहले तैयार कर ली जाएगी। टेडरॉस ने बताया कि कुल सात से आठ ऐसी टीमें हैं जो उस वैक्सीन को बनाने के बेहद करीब हैं और जल्द ही दुनिया को एक बेहतरीन खबर मिल सकती है।
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समय से पहले विकसित कर ली जाएगी दवा
टेडरॉस के मुताबिक कई देशों ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है और करीब 100 अलग-अलग टीम वैक्सीन का ट्रायल (Vaccine trial) कर रही हैं और इनमें से आठ ऐसी हैं जो इसके बेहद करीब भी हैं। दो महीने पहले हमने अनुमान लगाया था कि इसे बनने में 12 से 18 महीने का वक्त लग सकता है, लेकिन काम में तेजी आई है और ये समय से पहले विकसित कर ली जाएगी। हालांकि, टेडरॉस ने देशों से अपील की है कि उन्हें शोध और अनुसंधान के लिए करीब आठ बिलियन डॉलर जुटाया गया है। वैक्सीन बनने के बाद बड़ी मात्रा में उसके उत्पादन (Production) की भी जरूरत पड़ेगी इसलिए ये रकम कम है। टेडरॉस ने बताया कि बीते दिनों उन्होंने 40 देशों से इस बारे में अपील भी की है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि आठ बिलियन डॉलर रकम काफी नहीं है हमने कुछ और मदद की जरूरत है। अगर ये मदद नहीं मिलती है तो वैक्सीन बनाने के काम में लगातार देरी होती रहेगी।
दुनियाभर के हजारों शोधकर्ताओं के साथ कर रहे काम
टेडरॉस ने वैक्सीन के बारे में जानकारी दी कि हम फिलहाल उन उम्मीदवारों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जो नतीजे के करीब हैं और तेजी से काम करने में सक्षम हैं। डायरेक्टर जनरल टेडरॉस एडनॉम ने बताया कि जनवरी से ही हम दुनियाभर के हजारों शोधकर्ताओं के साथ काम कर रहे हैं। ज्यादातर वैक्सीन जानवरों पर इस्तेमाल करना भी शुरू कर चुके हैं जबकि कुछ ह्यूमन ट्रायल भी शुरू कर चुके हैं। करीब 400 वैज्ञानिकों का एक दल इस पूरे काम-काज पर नजर रख रहा है। कोरोना संक्रमण बेहद खतरनाक है और बिना वैक्सीन के इस लड़ाई में हम काफी कमजोर स्थिति में बने रहेंगे। ये संक्रमण सभी देशों को सिखाकर गया है कि मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की हर देश को कितनी जरूरत है।