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फतेहपुर उपचुनावः जो हाल BJP के थे कांग्रेस के भी वही होते दिख रहे- गुटबाजी बिगाड़े ना खेल
रविन्द्र चौधरी/फतेहपुर। विधायक सुजान सिंह पठानिया (MLA Sujan Singh Pathania) के निधन के चलते फतेहपुर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए राजनीति गलियारों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। चुनाव आयोग के अनुसार कुछ राज्यों में अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Election) के साथ ही यहां उपचुनाव हो सकता है। बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) में चुनाव लड़ने वालों की धुकधुकी भी बढ़ गई है। अब यह देखना बाकी है कि फतेहपुर विधानसभा रूपी समुद्र में कांग्रेस और बीजेपी में से किसकी नैया पार लगती है या फिर किसकी नैया में छेद होता है। वर्तमान हालातों को देखते हुए तो लग रहा है कि फतेहपुर में डॉ. सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद कांग्रेस के हालात बीजेपी की तरह होने वाले हैं। क्योंकि फतेहपुर में आपसी गुटबाजी के चलते विस चुनाव में बीजेपी की नैया पार नहीं लग पाई थी। कांग्रेस में टिकट के चाह्वानों ने साफ तौर पर कह दिया है कि परिवारवाद सहन नहीं किया जाएगा। इस बात से ही इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। सत्ता में वापसी को जोर लगा रही कांग्रेस के लिए ऐसे में फतेहपुर विधानसभा चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं होंगे। आई बात की गहराई तक जाते हैं।
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फतेहपुर हलके से कांग्रेस विधायक सुजान सिंह पठानिया का 12 फरवरी को निधन हो गया था। स्व. पठानिया के बेटे भवानी पठानिया, जोकि आज तक राजनीति व पार्टी के किसी पद से दूर रहे हैं, उनका चुनावी रण में उतरने की चर्चा बनी हुई है। आज तक राजनीति से दूर स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी पठानिया निजी बैंक में उच्च पद पर कार्यरत हैं। अब तक राजनीति व पार्टी के किसी भी पद से दूर रहे हैं। अब फतेहपुर (Fatehpur) में कांग्रेस चार धंड़ों में बंट चुकी है। जहां पर कांग्रेस की प्रदेश सचिव एवं पूर्व में जिला अध्यक्ष रही कांग्रेस नेत्री रीता गुलेरिया, पूर्व में प्रदेश सचिव रहे चेतन चम्बियाल, प्रदेश सेवादल के प्रभारी वासु सोनी व निशवार सिंहटिकट की दौड़ में हैं। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टीकट ना मिलने से खफा चेतन चम्बियाल ने तो अजाद के रूप में अपना नामांकन भर दिया था। मगर पूर्व में रहे पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। कांग्रेस की प्रदेश सचिव एवं पूर्व में जिला अध्यक्ष रही कांग्रेस नेत्री रीता गुलेरिया, पूर्व प्रदेश सचिव चेतन चम्बियाल, प्रदेश सेवादल के प्रभारी वासु सोनी और पीसीसी डेलीगेट (PCC Delegate) निशवार सिंह का कहना है कि पिछली बार भी कांग्रेस टिकट के लिए आवेदन किया था। इस बार भी कांग्रेस टिकट के लिए आवेदन करेंगे। परिवारवाद कभी सहन नहीं होगा।
फतेहपुर में बीजेपी की बात करते हैं। डॉ. राजन सुशांत (Dr. Rajan Sushant) के 2009 में लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने बलदेव चौधरी को मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। तब धूमल के नेतृत्व में सरकार ने बलदेव की जीत के लिए पूरा जोर लगाया था। मगर पार्टी की आपसी गुटबाजी में उपचुनाव में सुशांत के बड़े भाई मदन शर्मा ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा, जो बीजेपी की हार का मुख्य कारण बने। वहीं, 2012 के चुनाव में बीजेपी ने बलदेव ठाकुर को टिकट थमाई। तब डॉ. सुशांत की पत्नी ने बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़ा और बीजेपी की नैया फिर पार नहीं लग सकी। 2017 के चुनाव में बीजेपी ने फिर नए चेहरे के रूप में राज्यसभा के पूर्व सदस्य कृपाल परमार पर दांव खेला, लेकिन पार्टी से छिटके बलदेव ठाकुर भी मैदान में उतर आए। इस कारण बीजेपी को फिर अपनों के कारण हार का मुंह देखना पड़ा। बीजेपी की गुटबाजी के चलते ही कांग्रेस नेता सुजान सिंह पठानिया ने जीत की हैट्रिक लगा दी। बीजेपी पिछले तीन चुनाव में अपनों के बगावती तेवरों से जीत से दूर रही। मगर इस बार यह सूरतेहाल फतेहपुर कांग्रेस में बने हुए हैं। फतेहपुर में बीजेपी से कृपाल परमार इस बार भी पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं। हाल में धर्मशाला में हुई बैठक में कृपाल परमार को फतेहपुर से टिकट देने पर चर्चा हो चुकी है।
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