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वित्तायोग ने की Himachal को 19309 करोड़ रुपए देने की सिफारिश
Last Updated on February 15, 2020 by Deepak
शिमला। 15वें वित्तायोग (15th Finance Commission) ने वर्ष 2020-21 के लिए हिमाचल को 19,309 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की है। वित्तायोग ने इससे संबंधित सूचना भारत सरकार को भेज दी है। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह (Industries Minister Bikram Singh) ने कहा कि इसमें 11431 करोड़ रुपए राजस्व घाटा अनुदान, 6833 करोड़ रुपए कर अदायगी, 636 करोड़ स्थानीय निकायों के लिए और 409 करोड़ रुपए राज्य आपदा राहत कोष को देने की सिफारिश की गई है। 14वें वित्त आयोग की तुलना में 15वें वित्त आयोग में राजस्व घाटा अनुदान में 40.69 प्रतिशत, केंद्रीय कर अंशदान में 21.05 प्रतिशत, ग्रामीण स्थानीय निकायों में 18.51 प्रतिशत, शहरी निकायों में 417.50 प्रतिशत और राज्य आपदा राहत कोष में 74.04 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। 14वें वित्त आयोग के दौरान 14,407 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे जबकि 34.03 प्रतिशत वृद्धि के साथ 15वें आयोग में वर्ष 2020-21 के लिए 19,309 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं।
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उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों का अनुदान जिला परिषदों, पंचायत समितियों और राज्य के कैंट बोर्डों के अलावा नगर परिषदों, नगरपालिकाओं, नगर पंचायतों और ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीएम ने इन क्षेत्रों को अधिक अनुदान प्रदान करने का मामला वित्तायोग से उठाया था। उनके ही प्रयासों का नतीजा है कि वित्तायोग ने इस बार राज्य के राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाया है। मंत्री ने कहा कि 15वें वित्तायोग की सिफारिशों से राज्य सरकार को प्रदेश में विकासात्मक और अधोसंरचना गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी। इस अनुदान से समाज के सभी वर्ग विशेषकर कमजोर वर्ग लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि 15वें वित्तायोग द्वारा 2021-22 से 2025-25 के लिए सिफारिशें देना बाकी है। राज्य सरकार वित्तायोग के समक्ष हिमाचल प्रदेश के मामले उठाना जारी रखेगी, जिसकी रिपोर्ट अक्टूबर, 2020 में आना अपेक्षित है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वित्तायोग के समक्ष अधिक अनुदान जारी करने की अपनी मांग को मनवाने में सफल रही है। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने स्वयं 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से मिलकर अनुदान में वृद्धि का मामला उठाया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप हिमाचल प्रदेश को केरल राज्य के बाद सर्वाधिक राजस्व घाटा अनुदान मिला है। उन्होंने कहा कि केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान 13वें वित्तायोग ने हिमाचल प्रदेश को केवल 4338.4 करोड़ रुपए का औसत वार्षिक अनुदान प्रदान किया था। इससे राज्य को अपना जायज हिस्सा प्राप्त नहीं हुआ। यूपीए सरकार ने हिमाचल के साथ भेदभाव किया।
दूसरी ओर, पूर्व कांग्रेस सरकार ने वित्तीय सहायता के लिए कोई प्रयत्न नहीं किए। कांग्रेस सरकार वित्तायोग से अनुदान में वृद्धि करवाने में भी असफल रही, जिसके कारण राज्य में विकासात्मक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई। बिक्रम सिंह ने कहा कि 14वें वित्तायोग में 2015-20 की अवधि के लिए राज्य की अनुदान राशि में 13वें वित्तायोग द्वारा 2010-15 की तुलना में 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की वृद्धि करने के लिए प्रदेशवासी केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी के आभारी हैं।