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गहलोत गुट के विधायकों के बदले सुर, पायलट को CM बनाने का किया समर्थन
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुनाव को लेकर नेताओं की ओर से आजमाइश शुरू हो चुकी है। वहीं, राजस्थान के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के कुछ समर्थकों के सुर बदल गए हैं। सीएम गहलोत के समर्थक विधायकों इंदिरा मीणा, मदन प्रजापति और जितेंद्र सिंह के बाद अब चौथे विधायक संदीप यादव ने भी सचिन पायलट (Sachin Pilot) को सीएम बनाने की बात कही है।
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गौरतलब है कि राजस्थान में सीएम पद को लेकर मची घमासान पर कांग्रेस आलाकमान की सख्ती का असर दिखने लगा है। बता दें कि ये चारों विधायक सीएम अशोक गहलोत के खास मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) के घर आज हुई बैठक में मौजूद थे। शांति धारीवाल शहरी विकास और आवास विकास और संसदीय कार्य मंत्री हैं। धारीवाल ने गहलोत गुट में शामिल विधायकों की अपने घर पर बैठक बुलाकर पायलट को सीएम ना बनने देने की रणनीति बनाई।
नहीं होगा कोई एतराज
विधायक संदीप यादव ने कहा कि मैं कांग्रेस हाईकमान के साथ हूं। उनका हर फैसला मुझे मंजूर है। इसी दौरान उन्होंने सचिन पायलट को सीएम बनाने पर एतराज ना होने की बात कही।
कागज पर करवाए साइन
विधायक इंदिरा मीणा ने बताया कि हमें सीएम निवास बुलाया गया था, लेकिन बाद में कहा गया कि शांति धारीवाल के घर आओ। उन्होंने बताया कि वहां उनसे एक कागज पर साइन करवाया गया, जिसे उन्होंने पढ़ा नहीं। उन्होंने कहा कि हमारा सचिन पायलट से कोई विरोध नहीं है, अगर वो सीएम बनते हैं तो हमारे लिए अच्छा होगा।
त्यागपत्र का काम है गलत
विधायक जितेंद्र सिंह ने कहा कि त्यागपत्र का काम गलत है। उन्होंने कहा कि वे आलाकमान के साथ हैं। पार्टी चाहे जिसे भी सीएम बनाए मैं साथ दूंगा। उन्होंने बताया कि उन्हें भी विधायक दल की बैठक के लिए सीएम आवास बुलाया गया था, वहां से फोन कर फिर धारीवाल के घर आने को कहा गया।
82 विधायकों ने दिया इस्तीफा
बता दें कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक 24 सितंबर को शाम 7 बजे जयपुर स्थित सीएम निवास में की जानी थी, लेकिन इससे पहले ही सबको धारीवाल के बंगले पर बुलाया गया। इसके बाद करीब 82 विधायक रात को 8 बजे विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी के बंगले पर पहुंचे और सामूहिक रूप से स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा।
गहलोत समर्थकों ने रखी शर्तें
बता दें कि सीएम गहलोत के समर्थक विधायकों की ओर से तीन शर्तें रखी गई हैं। जिसमें सबसे पहली शर्त है कि सचिन पायलट को सीएम ना बनाया जाए। विधायकों का कहना है कि उन्होंने 2020 में बगावत की थी। वहीं, विधायकों की दूसरी शर्त है कि राज्य में नए सीएम के बारे में फैसला तब तक ना आए, जब तक कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव नहीं हो जाते। जबकि, विधायकों की तीसरी शर्त है कि सीएम गहलोत को ही सीएम बने रहना दिया जाए या फिर 2020 में पायलट के विद्रोह के दौरान सरकार बचाने के लिए खड़े विधायकों को ही सीएम पद के लिए चुना जाए।