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Geeta Jayanti 2023: गीता जयंती आज, इस विधि से करें पूजा-अर्चना; जानें शुभ मुहूर्त
नेशनल डेस्क। आज गीता जयंती (Today’s Geeta Jayanti) है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण (LOrd Shri Krishna) ने जब अर्जुन को भगवत गीता का ज्ञान दिया उस दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखना भी मान्य होता है। माना जाता है कि गीता जयंती के दिन व्रत रखने से साधक का मन पवित्र और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म (Dharam) और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था। जो उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने दिए उसे ही गीता कहा जाता है। श्री कृष्ण के उपदेश में जीवन जीने, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है। आपको बता दें कि गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती ही वर्ष मनाई जाती है।
गीता जयंती के शुभ योग (Shubh Yog)
इस साल गीता जयंती पर तीन बड़े ही शुभ योग बनने जा रहे हैं। इस दिन शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग रहने वाला है। शिव योग- 22 दिसंबर को सुबह 11.11 बजे से सुबह 09.08 बजे तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07.09 बजे से रात 09.36 बजे तक रहेगा।
गीता जयंती पूजा विधि (Worship Method)
गीता जयंती के दिन स्नान कर पीले वस्त्र पहनें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें और भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। पूजा के दौरान श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करना बेहद फलदाई माना जाता है। अब अक्षत और फूल से ग्रंथ की पूजा करें और पाठ का प्रारंभ करें। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इस दिन लोगों को गीता ग्रंथ का दान करना चाहिए। मान्यता है कि इस काम को करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं।
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क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?
श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagavad Gita) दुनिया का इकलौता ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि गीता का जन्म स्वंय भगवान श्री कृष्ण के मुख से हुआ है। गीता में वर्णित एक-एक श्लोक भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं, इसलिए गीता जयंती मनाई जाती है।
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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। HimachalAbhiAbhi.Com इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।