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बैंकों के विफल लेनदेन की रकम जल्द नहीं लौटाने पर सख्ती, #RBI दखल दे
नई दिल्ली। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन (Online Transactions) के दौरान कई मर्तबा ऐसा हो जाता है कि लेनदेन के दौरान उपभोक्ता (Consumer) के खाते से भगुतान हो जाता है, लेकिन तकनीकी कारणों से वह सफल नहीं हो पाता है। ऐसे मामलों में उपभोक्ता के पास सिर्फ एक ही रास्ता बचता है कि वह बैंक द्वारा रकम लौटा दिए जाने तक इंतजार करे। लेकिन अब सरकार ने बैंकों की इस मामले में लापरवाही को सख्ती से लिया है। उपभोक्ता संरक्षण सीसीपीए ने आरबीआई को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए केंद्रीय बैंक को इसमें दखल देने की जरूरत है।
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आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एमके जैन (RBI Deputy Governor MK Jain) को लिखे पत्र में उपभोक्ता संरक्षण की चीफ कमिश्नर निधि खरे (Chief Commissioner of Consumer Protection Nidhi Khare) ने कहा कि लेनदेन विफल रहने या रद होने, लेकिन रिफंड नहीं मिलने के 2,850 मामले राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन ( National Consumer Helpline -NCH) पर दर्ज कराए गए हैं। यह एनसीएच पर दर्ज कराए गए कुल मामलों का 20 प्रतिशत है। खरे के मुताबिक ऐसा नहीं कि बैंक रकम लौटा नहीं रहे हैं। लेकिन बैंक इस प्रक्रिया में आरबीआइ के दिशा-निर्देशों में वर्णित समय में ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।
बैंकिंग नियामक होने के नाते आरबीआई का यह दायित्व है कि वह इन मामलों को गंभीरता से ले और बैंकों को आदेश दे कि वे इन मामलों में निर्धारित समयावधि का गंभीरता से पालन करें। खरे ने कहा कि एनसीएच को मिली शिकायतों के विश्लेषण से पता चला है र्कि आइएमपीएस और यूपीआईजैसी बैंकिंग सेवाओं में भी लेनदेन विफल रहने या रद होने तथा रिफंड (Refunds) वापस नहीं मिलने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। याद रहे कि सीसीपीए का गठन पिछले वर्ष 24 जुलाई को हुआ था। इसका मकसद ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करना है। इसके पास अनुचित कारोबारी कृत्यों, भ्रामक विज्ञापनों तथा ग्राहक अधिकारों की अनदेखी के मामलों को नियंत्रित करना है।