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पदोन्नति का लाभ ना देने पर हाइकोर्ट ने वन निगम पर लगाई 30 हजार की कॉस्ट
शिमला। प्रदेश हाइकोर्ट ने पदोन्नति का लाभ न देने पर वन निगम पर 30 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। कोर्ट ने प्रबंधक निदेशक, निदेशक दक्षिण और क्षेत्रिय प्रबंधक चौपाल को कॉस्ट की राशि अदा करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने निगम को तीन महीनों के भीतर याचिकाकर्ताओं को वरियता का लाभ दिए जाने के आदेश भी दिए है। कोर्ट ने कहा कि यदि इन आदेशों की अनुपालाना में कोताही बरती गई तो उस स्थिति में प्रतिकूल आदेश पारित किए जा सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने प्रार्थी भाग चंद और भगवान दास की अपील का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए। याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2016 में हाईकोर्ट की ओर से पारित आदेशों की अनुपालाना के लिए याचिका दायर की थी।
तीन महीनों के भीतर याचिकाकर्ताओं को वरियता का लाभ देने के आदेश
हाईकोर्ट ने पाया कि 2 अगस्त 2016 को दैनिक भोगी टिंबर वाचर की वरियता सूची को ठीक करने के आदेश दिए थे। प्रतिवादी निगम की ओर से अदालत को बताया गया था कि याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों के आधार पर दोबारा से वरीयता सूची जारी की जाएगी। अदालत के समक्ष बयान देने और अदालती आदेशों के बावजूद जब निगम ने वरियता सूची को नहीं सुधारा तो उस स्थिति में याचिकाकर्ताओं को दोबारा से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि निगम ने अदालती आदेशों को लागू करने के लिए 35 साल की देरी की दलील दी थी। निगम की गलती के लिए याचिकाकर्ताओं को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए निगम को तीन महीनों के भीतर याचिकाकर्ताओं को वरियता की लाभ दिए जाने के आदेश दिए है। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकताओं को सेवा से जुड़े सभी लाभ भी दिए जाएं।
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