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हाईकोर्ट ने 28 साल पहले सड़क निर्माण के लिए इस्तेमाल की गई भूमि का मुआवजा देने के दिए आदेश
Last Updated on July 21, 2023 by sintu kumar
शिमला प्रदेश हाईकोर्ट ने 28 साल पहले तहसील रोहड़ू के अंतर्गत उधो-निवास-झाकड़-बरतु सड़क निर्माण के लिए इस्तेमाल की भूमि का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने बिना अधिग्रहण सड़क बनाने को असंवैधानिक बताया। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने याचिकाकर्ता रामानंद और अन्य की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि प्रार्थी दो दशकों से मुआवजे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। कोर्ट ने आशा जताई है कि याचिकाकर्ताओ को दो महीनों के भीतर मुआवजा दे दिया जाएगा। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि संपत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं है, फिर भी अनुच्छेद 300 ए के तहत यह एक संवैधानिक अधिकार है। इस दृष्टिकोण से अनुच्छेद 300 ए के तहत किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। सरकार के पास जनहित के लिए भूमि के मालिक की संपत्ति को लेने की शक्ति है, परंतु सरकार इसकी क्षति की भरपाई किए बगैर ऐसा नहीं कर सकती।
वर्ष 1995 में तहसील रोहड़ू में उधो-निवास-झाकड़-बरतु सड़क के निर्माण के लिए भूमि का इस्तेमाल किया गया था। कुछ लोगों को वर्ष 1997 में अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिया गया। लेकिन याचिकाकर्ताओं को मुआवजे की राशि से वंचित किया गया। इसके बाद उन्होंने सरकार के पास अपना पक्ष रखा कि उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है। हालांकि जिन लोगों को वर्ष 1997 में मुआवजा नहीं दिया गया था, उन्हें वर्ष 2014 में मुआवजा दिया गया है। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने दोबारा से मुआवजे के लिए आवेदन किया था। जिसे सरकार ने 29 सितंबर 2022 को अस्वीकार कर दिया था। इस आदेश को याचिकाकताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर राज्य सरकार के 29 सितंबर 2022 के आदेशों को खारिज कर दिया।
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