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शिमला। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह आठ सप्ताह के भीतर आईजीएमसी (IGMC) शिमला और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल टांडा में एमआरआई और सिटी स्केन की मशीनें लगाने बारे आवश्यक कदम उठाएं। मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने जनहित याचिका का निपटारा करते हुए उक्त आदेश पारित किए।
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में एकमात्र एमआरआई (MRI) मशीन तकनीकी खराबी के चलते ठप रहने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया था। दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर स्टेट्स रिपोर्ट तलब की थी। समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार अस्पताल में एकमात्र एमआरआई मशीन तकनीकी खराबी के चलते ठप है, जिसका खामियाजा अस्पताल आने वाले मरीजों को झेलना पड़ा रहा है।
हिंदी समाचार पत्र में गत 31 अक्टूबर को छपी खबरों के अनुसार आईजीएमसी में एमआरआई मशीन खराब होने के कारण एक से डेढ़ माह पहले जिन मरीजों को एमआरआई की डेट दी गई थी, उन्हें बिना एमआरआई करवाए ही लौटने पड़ा। आपातकालीन स्थिति में एमआरआई करवाने के लिए अगर डॉक्टर कह रहे हैं तो ऐसे में मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। अस्पताल में रोजाना बारह से पंद्रह एमआरआई मरीजों के किए जाते हैं। हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार से तलब की गई रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को बताया गया कि आईजीएमसी शिमला और टांडा में एमआरआई की मशीनें सुचारू रूप से कार्य कर रही हैं। इसी सत्र आईजीएमसी शिमला के लिए बीस करोड़ रुपए की नई एमआरआई मशीन खरीदी जाएगी, जिसके लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। इसी तरह डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल टांडा के लिए भी नई एमआरआई मशीन लगाए जाने के लिए ई-टेंडर लगाए जा चुके हैं, जिन्हें आगामी सात मार्च को खोला जाएगा।
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