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हाईकोर्ट ने दिए सरकार को आदेश- मुआवजा दें नहीं तो मालिकों को जमीन वापस करें
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court)ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि या तो वह सड़क बनाने में इस्तेमाल भूमि का मुआवजा दें या मालिकों को जमीन वापस करें। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने एकल पीठ द्वारा पारित 12 मार्च , 2020 के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ( State Govt)द्वारा दायर अपील पर यह आदेश पारित किया, जिसके तहत राज्य सरकार को या तो भूमि का अधिग्रहण (Acquisition of land) करने या उसे सौंपने का निर्देश दिया गया था। उसके मालिकों को कब्ज़ा सौंपना। राज्य ने तर्क दिया कि उसने सड़क निर्माण के लिए अपनी भूमि का उपयोग करने के लिए भूमि मालिकों की मौखिक सहमति प्राप्त की थी, लेकिन भूमि मालिकों ने इस दावे का खंडन किया है।
रक्कड़ -बसोली रोड के निर्माण के लिए किया भूमि का उपयोग
न्यायालय ने पाया कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम (Land Acquisition Act)के प्रावधानों का सहारा लिए बिना, प्रतिवादियों की भूमि का उपयोग राज्य सरकार द्वारा जिला ऊना में रक्कड़ से बसोली रोड के निर्माण के लिए किया गया था। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामला कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी व्यक्ति को उसकी निजी संपत्ति से जबरन बेदखल करने का एक उदाहरण है। कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्रवाई को मानवाधिकारों के साथ-साथ संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन माना। अदालत ने आगे कहा कि राज्य, जो अपने नागरिकों के अधिकारों, जीवन और संपत्ति का संरक्षक और संरक्षक है, की ओर से ऐसा कृत्य निश्चित रूप से न्यायालय की न्यायिक अंतरात्मा को झकझोरता है। न्यायालय ने माना कि राज्य देरी और देरी के आधार पर खुद को नहीं बचा सकता है और न्याय करने में भी कोई सीमा नहीं हो सकती है।