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हाईकोर्ट ने लगाई ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को कड़ी फटकार
शिमला। बिजली बोर्ड के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर विभिन्न ठेकेदारों और निजी प्रतिष्ठानों को काम देने से जुड़े मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को कड़ी फटकार लगाई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने उक्त आला अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले को दबा कर बैठ जाने वाले आचरण पर हैरानी जताई। कोर्ट ने 1 जून को ऊर्जा विभाग के एसीएस को इस बाबत विशिष्ट निर्देश कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए। पांवटा साहिब जिला सिरमौर निवासी चत्तर सिंह द्वारा जनहित में दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने यह आदेश जारी किए। प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि बिजली बोर्ड के कर्ताधर्ता अधिकारियों ने चुनिंदा निजी प्रतिष्ठानों को नए मीटर लगाने और खराब हो चुके नए मीटरों को बदलने का काम देकर भारी मात्रा में राजस्व को नुकसान पहुंचाया है। ये चुनिंदा ठेकेदार इस कार्य के लिए भारी भरकम मजदूरी वसूल रहे है।
एक मीटर को बदलने की मजदूरी 2360 रुपए
प्रार्थी का कहना है कि वह खुद बिजली बोर्ड से रिटायर होने के नाते बिजली बोर्ड के आला अधिकारियों की कारगुज़ारी से भलीभांति वाकिफ है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिजली बोर्ड ने 12 मार्च 2018 को नए मीटर लगाने और खराब हो चुके नए मीटरों को बदलने के लिए जो टेंडर आबंटित किए थे उसके अनुसार एक मीटर को बदलने की मजदूरी 2360 रुपए एक फर्म को दी जा रही है और उसे फेज 1 के 5200 मीटर और फेज 3 के 546 मीटर बदलने का कार्य सौंपा गया है। इसके लिए ठेका लगभग 1 करोड़ 27 लाख रुपए का दिया गया है। यह मजदूरी किन्नौर जिले की बनिस्पत जिला सिरमौर में 200 गुणा तक दी जा रही है। एक ही कार्य के लिए किन्नौर में 212 रुपए जबकि सिरमौर में 2360 रुपए दिए जा रहे हैं जिससे उच्च अधिकारीयों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार का साफ पता चल रहा है। इसी तरह सोलन जिला में इसी काम के लिए मजदूरी 441 रुपए प्रति मीटर विभिन्न फर्मों को दिए जा रहे हैं।
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दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की गुहार
प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया है कि पूर्व विद्युत मंत्री के ओएसडी रहे पूर्व चीफ इंजीनियर शेखरानंद उपरीति ने निजी तौर पर मेसर्ज कौशल इलेक्ट्रिकलज को फायदा पहुंचाने के लिए सिरमौर जिले में इतनी बड़ी राशि केवल मजदूरी की एवज में अदा करने का यह ठेका दिलवाया था। प्रार्थी ने 2008 से लेकर अब तक के ऐसे ही करोड़ों रुपए के घोटाले बताते हुए मांग की है कि राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच करवाई जाए। प्रार्थी ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने और दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की गुहार भी लगाई है।