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निजी स्कूलों में कमजोर वर्ग के छात्रों को आरक्षण देने के मामले में हाईकोर्ट सख्त
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों की अक्षरशः अनुपालना सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजी स्कूलों में भी कमजोर वर्ग के छात्रों को 25 फीसदी आरक्षण देने के आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट तलब की है। मामले पर सुनवाई 29 मार्च के लिए निर्धारित की गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह अधिनियम के प्रावधानों की अनुपालना करने बाबत मात्र दिखावा ना करे।
आरक्षण देने संबंधी जानकारी नोटिस बोर्ड पर भी लगाने के आदेश
हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में सभी सरकारी सहायता प्राप्त और गैर सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को आदेश दिए थे कि वह कमजोर वर्ग से संबंधित और वंचित समूह के छात्रों को 25 फीसदी आरक्षण दें। उन्हें इसकी जानकारी हिंदी और अंग्रेजी भाषा में नोटिस बोर्ड पर भी लगाने के आदेश जारी किए थे। आम जनता की जानकारी के लिए नोटिस को स्कूल के परिसर के बाहर चिपकाने के साथ-साथ पंचायत घर, सार्वजनिक स्थान, पंचायतों के विभिन्न वार्ड, बस स्टॉप, नगर परिषद, नगरपालिका के विभिन्न वार्ड में चिपकाने के आदेश दिए गए थे। स्कूलों में प्रवेश शुरू होने से पहले ऐसे छात्रों को आवेदन करने के लिए कम से कम 30 दिन का समय देने को कहा गया था। खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गए थे कि वह संबंधित जिले शिक्षा अधिकारियों को आरक्षण की जानकारी दे।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम का नहीं हो रहा पालन
प्रार्थी नमिता मनिकटाला ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम की अक्षरश अनुपालना ना होने का आरोप लगाया है। कोर्ट को बताया गया कि हिमाचल के सभी स्कूलों में कमजोर वर्ग से संबंधित और वंचित समूह के छात्रों को 25 फीसदी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। हालांकि हाईकोर्ट ने 30 अगस्त 2016 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम की अनुपालना सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए थे। मगर राज्य सरकार ने इन आदेशों की अनुपालना कागजों में ही की है।