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गिरी गंगा नदी में प्रदूषण मामला: हिमाचल हाईकोर्ट ने मलबा गिराने पर लगाई रोक
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal HighCourt) ने गिरी गंगा नदी (Giri Ganga River) को प्रदूषित करने के मामले में कड़ा संज्ञान लिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने खड़ापत्थर से लेकर गिरिपुल तक किसी भी तरह का मलबा गिराने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। ज्ञात रहे कि गिरी गंगा नदी से शिमला शहर के लिए पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। बारिश होने पर इसमें गाद आ जाने पर जलापूर्ति बाधित हो जाती है। शिमला शहर में पानी की किल्लत को लेकर स्थानीय अधिवक्ता विजय अरोड़ा द्वारा दायर याचिका में अदालत ने यह आदेश पारित किए। पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया था कि गुम्मा में बिजली की आपूर्ति बाधित होने के कारण पानी की समस्या पैदा हो गयी थी।
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शिमला जल प्रबंधन बोर्ड (Shimla Water Management Board) ने अदालत को बताया कि इस तरह की समस्या से निपटने के लिए उन्होंने बिजली बोर्ड के पास नए ट्रांसफार्मर के लिए 2 करोड़ 87 लाख 65 हजार रुपये जमा करवा लिए हैं। बिजली बोर्ड की ओर से अदालत को सुनिश्चित करवाया गया कि दो सप्ताह के भीतर नया ट्रांसफार्मर लगा दिया जाएगा। हाईकोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिए कि वह सर्दियों में बिजली की आपूर्ति बाध्य रहने या कम वोल्टेज के रहते सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसी अतिरिक्त ऊर्जा जुटाने बारे संभावनाएं तलाशे ताकि पानी की सप्लाई बंद न हो। मामले पर पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को यह भी अवगत करवाया गया कि गुम्मा से कोटखाई तक हो रही अवैध डंपिंग के कारण प्राकृतिक स्रोत सूखने की कगार पर है। जल स्रोतों में पानी की कमी होने के कारण भी बहुत कम मात्रा में पानी उठाया जा रहा है इसलिए शिमला शहर को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।