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हिमाचल हाईकोर्ट ने वेतनमान से जुड़े मामले में कैबिनेट का निर्णय किया रद्द, जाने
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने वेतनमान से जुड़े मामले में कैबिनेट के निर्णय (Cabinet Decision) को रद्द करते हुए पशु चिकित्सकों की अनुबंध या तदर्थ के आधार पर दी सेवाओं को 4 स्तरीय वेतनमान देने के लिए आंकने के आदेश पारित किए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने पंकज कुमार लखन पाल व अन्यों द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया।
पशु चिकित्सकों की अनुबंध पर दी सेवाओं को 4 स्तरीय वेतनमान देने के लिए आंकने के आदेश दिए
याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थियों को उनकी अस्थाई सेवाओं का लाभ न देते हुए 4 स्तरीय पे स्केल दिया जा रहा था। वह स्वास्थ्य विभाग में कार्य करने वाले अन्य चिकित्सों की तरह ही शैक्षणिक योग्यता रखते हैं और उनके समकक्ष है। एमबीबीएस डॉक्टरों (MBBS Doctors) को अस्थाई सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है जबकि प्रार्थियों को अस्थाई सेवा लाभ नहीं मिल रहा था। इस पर राज्य सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि पशु चिकित्सक को शुरू में अनुबंध के आधार पर लगाया गया था इसलिए वे अनुबंध की सेवाओं को गिनते हुए 4 स्तरीय वेतनमान लेने का हक नहीं रखते। वे स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के समकक्ष नहीं है। स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के डॉक्टरों की सेवा मानवीय जीवन से जुड़ी हैं जबकि उनकी सेवाएं पशु जीवन से जुड़ी है। अनुबंध के आधार पर दी जाने वाली सेवाओं (Contract Basis Services) के लिए अलग तरह की शर्तें लागू होती है और वह उन शर्तों के अंदर बंधे रहते हैं। उनके साथ किए गए अनुबंध में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि राज्य सरकार उन्हें अनुबंध पर रहते 4 स्तरीय पे स्केल देने के लिए बाध्य है। एमबीबीएस डॉक्टर व वेटरनरी डॉक्टर (Veterinary Doctor) के काम करने के लिए अलग-अलग तरह के नियम है। समान काम के लिए समान वेतन जैसा सिद्धांत इस मामले में लागू नहीं हो सकता है।
वेटरनरी डॉक्टर के समकक्ष ही है एमबीबीएस डॉक्टर
प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि एमबीबीएस डॉक्टर वेटरनरी डॉक्टर के समकक्ष ही है। इन्हे एमबीबीएस डॉक्टरों की तरह नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस जैसे वितीय लाभ भी दिए जाते हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी याचिकाओं को मंजूर करते हुए राज्य सरकार की कैबिनेट द्वारा 28 फरवरी 2020 को पारित निर्णय को रद्द करते हुए यह आदेश जारी किए कि प्रार्थियों की अनुबंध पर दी गई सेवाओं को 4 स्तरीय पे स्केल के लिए गिनते हुए उन्हें इस लाभ को 90 दिनों के भीतर अदा किया जाए। यह लाभ अदा न करने की स्थिति में इस लाभ के साथ 7:50 फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा।