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सेवाविस्तार वापिस लेने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने पिछली सरकार द्वारा दिए गए सेवा विस्तार (Service Extension) को नई सरकार द्वारा वापिस लेने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को गुणवत्ताहीन पाते हुए खारिज (Dismissed the Petition) कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने ओम प्रकाश शर्मा द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि सरकार सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को दिया सेवा विस्तार कभी भी वापिस ले सकती है। यह सरकार का विशेषाधिकार है कि वह अपनी नीति पर पुनर्विचार कर नया फैसला ले।
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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालतें सरकार के नीतिगत फैसलों का न्यायिक पुनरावलोकन तब तक नहीं कर सकती जब तक फैसले दुर्भावनापूर्ण प्रतीत न हो। कोर्ट की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्तियां सीमित है। सरकार की किसी नीति को परखने से पहले कोर्ट को देखना होता है कि नीति नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन (Fundamental Rights of the Citizens) वैधानिक प्रावधानों के विपरीत नीति या मनमानी नीति तो नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि सेवाविस्तार को वापिस लेना न तो अनुचित प्रतीत होता है और न ही मनमाना। मामले के अनुसार प्रार्थी को पिछली सरकार ने सेवा विस्तार देते हुए एचपी स्टेट कोपरेटिव बैंक में तहसीलदार रिकवरी लगाया था। प्रार्थी के अनुसार उसका अनुबंध अप्रैल 2023 तक था परंतु मौजूदा सरकार ने उसे सुने बगैर ही 12 दिसंबर को जारी शासनदेशों के तहत उसका अनुबंध खत्म कर दिया। प्रार्थी ने अपना सेवा विस्तार अनुबंध समय से पहले खत्म करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।