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हाईकोर्ट ने लापरवाह ठेकेदारों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने को कहा
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Cort) ने ठेकेदारों (Contractors) की लापरवाही के कारण परियोजनाओं के समय पर पूरा न होने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के प्रावधान बनाने के आदेश देते हुए मुख्य सचिव (Chief Secretary Himachal) से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व महाधिवक्ता श्रवण डोगरा को इस जनहित मामले की पैरवी के लिए कोर्ट मित्र नियुक्त करने के आदेश जारी किए। उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह निजी तौर पर इस मामले को देखे ताकि ठेकेदारों की वजह से कोई भी प्रोजेक्ट बेवजह न अटके।
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अर्नेस्ट मनी जब्त करना नाकाफी
कोर्ट ने कहा था कि टेंडर राशि का 2 फीसदी अर्नेस्ट मनी (Earnest Money) के तौर पर लिया जाना बहुत ही कम है। सरकार को ऐसे प्रावधानों पर पुनः विचार करना चाहिए, वरना सारे प्रोजेक्ट बेवजह लटके रहेंगे और समय पर पूरे नहीं हो पाएंगे। कोर्ट ने कहा था कि ठेकेदारों को एक बार काम सौंप देने के बाद अर्नेस्ट मनी को जब्त करने के प्रावधान से कोई फर्क नहीं पड़ता। इस छोटी सी सजा का उन पर कोई असर नहीं पड़ता। ठेकेदारों के खिलाफ ब्लैकलिस्टिंग जैसे कड़े प्रावधान बनाने की आवश्यकता है ताकि समय पड़ने पर दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सके।
यह है पूरा मामला
हाईकोर्ट ने पर्याप्त धन राशि स्वीकृत होने के बावजूद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जांगला में विज्ञान भवन न बनाए जाने के मामले पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिए हैं। जनहित से जुड़ी याचिका में कानून की छात्रा अस्मिता ने आरोप लगाया है कि चिडगांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल जांगला में विज्ञान भवन बनाने के लिए 2.8 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत की है। स्कूल के लिए विज्ञान भवन जैसी सुविधाओं के अभाव के चलते छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। मामले पर सुनवाई 11 जुलाई को निर्धारित की गई है।