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ग्रेच्युटी पर ब्याज ना देने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने लिया कड़ा संज्ञान, मंगाई हिदायत
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने ग्रेच्युटी पर ब्याज (Interest on Gratuity) ना देने पर कड़ा संज्ञान लिया है और उक्त मामले को लेकर सहकारिता पंजीयक से हिदायत मंगाई है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने कोर्ट द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब से असंतोष जताया है। मामले पर आगामी सुनवाई 14 मार्च को निर्धारित की है। 10 जनवरी 2023 को कोर्ट ने सहकारिता पंजीयक को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी कर पूछा था कि क्यों न ब्याज के 4,36,078 रुपये उनसे वसूले जाए। साथ ही अदालत ने प्रार्थी को ग्रेच्युटी पर ब्याज के 4,36,078 रुपये अदा करने के आदेश दिए थे। खंडपीठ ने सचिव सहकारिता को आदेश दिए कि थे वह चार हफ्ते के भीतर मामले की जांच करे। दोषी अधिकारियों से ब्याज की राशि वसूले। चाहे दोषी अधिकारियों में सहकारिता पंजीयक ही क्यों न हो।
दोषी अधिकारियों से ब्याज की राशि वसूलने के दिए थे आदेश
मामले के अनुसार सहकारिता विभाग ने प्रार्थी को 29 जून 2017 को निलंबित किया था जबकि अगले ही दिन वह सहायक पंजीयक के पद से सेवानिवृत्त हो गया। 18 जुलाई 2017 को विभाग ने उसके खिलाफ चार्जशीट जारी कर दिया और उसके सारे वित्तीय लाभ रोक दिए। याचिकाकर्ता के खिलाफ विभाग ने आरोप लगाया था कि उसने अपने कर्त्तव्य का निर्वहन नहीं किया जिससे हमीरपुर की सहकार समिति बलूट में करोड़ों रुपयों का घोटाला हुआ। इस चार्जशीट को याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष चुनौती दी। अदालत ने 30 दिसंबर 2021 को विभाग की ओर से जारी चार्जशीट को रद्द कर दिया था। 12 मई 2022 को विधि विभाग ने सलाह दी थी कि हाईकोर्ट के निर्णय को लागू करना ही उचित है। 26 मई 2022 को विभाग ने प्रार्थी की ग्रेच्युटी अदा कर दी, लेकिन इस पर मिलने वाले चार वर्ष का ब्याज देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने पाया कि 5 सितंबर 2022 को सचिव सहकारिता ने पंजीयक सहकारिता को निर्देश दिए थे कि प्रार्थी देरी से दी गई ग्रेच्युटी पर ब्याज का हक रखता है। इसके बावजूद भी पंजीयक ने प्रार्थी को ब्याज देने से इंकार कर दिया।
भिखारियों के रहन सहन से जुड़े मामले पर 26 अप्रैल को होगी सुनवाई
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में शिमला शहर (Shimla City) में भिखारियों (living of Beggars) के रहन सहन के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों की अनुपालना न करने से जुड़े मामले में सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। कॉलेज छात्रा अश्मिता सिंह ठाकुर (College student Ashmita Singh Thakur) द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार शिमला शहर में जगह जगह भिखारी नजर आ जाते है। इनके साथ नंगे पांव व बिना कपड़ों के छोटे-छोटे बच्चे होते है जिनके रहन सहन के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नही उठाये गए है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने इस तरह के लोगों के रहन सहन के इंतजाम के लिए दिशा निर्देशों जारी कर रखे है। प्रार्थी ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों की अनुपालना बाबत निदेशक महिला एवं बाल विकास को प्रतिवेदन भेजा था। मगर उनकी ओर से इस बारे में कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया।