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हिमाचल विधानसभा की केंद्र से एफसीए कानून में संशोधन की मांग, सरकारी संकल्प पारित
Himachal Vidhan Sabha Winter Session At Tapovan: हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने वन संरक्षण अधिनियम-1980 में संशोधन (Amendment in Forest Conservation Act-1980) कर आपदाओं में खेती योग्य भूमि बह जाने पर तबादले में सरकारी वन भूमि व लघु और सीमांत किसानों को 10 बीघा तक सरकारी वन भूमि खेती करने के लिए देने संबंधी सरकारी संकल्प पारित कर दिया। इस संकल्प में केंद्र सरकार से एफसीए कानून में संशोधन (Amendments to the FCA Act)की मांग की गई है, ताकि सरकार प्रभावितों को वन भूमि खेती के आवंटित कर सके।
यह संकल्प राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी (Revenue Minister Jagat Singh Negi)ने सदन में चर्चा के लिए पेश किया था। कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि एफसीए के कारण हिमाचल ही नहीं बल्कि सभी राज्य वन भूमि किसी भी आपदा पीड़ितों को आवंटित न करने के लिए विवश है। विधायक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि उनके चुनाव क्षेत्र शाहपुर में लगभग दो साल पहले आई प्राकृतिक आपदा के कारण अपनी जमीन गंवा चुके लोगों को अभी तक सरकार इस कानून के चलते जमीन नहीं दे पाई है। बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा (BJP MLA Randhir Sharma)ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के अलावा भी प्रदेश में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें जमीन दी जानी है। इनमें भाखड़ा और पौंग बांध विस्थापित भी शामिल है।
10 बीघा जमीन आवंटित करने के लिए कानून में संशोधन की मांग
संकल्प पर हुई चर्चा के जवाब में जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल में हर साल आपदाओं से खासकर जमीन को भारी नुकसान हो रहा है, लेकिन एफसीए कानून के कारण सरकार तबादले में प्रभावितों को जमीन नहीं दे पा रही है। यह स्थिति तब है जबकि वन भूमि की मालिक प्रदेश सरकार है। मगर जमीन की किस्म एफसीए ( FCA) में आने के कारण इसे प्रभावितों को आवंटित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस संकल्प के माध्यम से केंद्र से सरकार से अधिकतम 10 बीघा जमीन आवंटित करने के लिए कानून में संशोधन की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार से इस कानून में आपदाओं के अलावा अन्य कारणों से प्रभावितों लोगों को भी जमीन देने के लिए एफसीए कानून में प्रावधान करने का आग्रह किया गया है।
धरने पर बैठे विधायक राकेश कालिया
गगरेट से कांग्रेस विधायक राकेश कालिया (Congress MLA Rakesh Kalia) को इस मुद्दे पर जब अपने विचार रखने की इजाजत नहीं मिली तो वह सदन के बीचों-बीच जाकर धरने पर बैठ गए। हालांकि तुरंत ही कांग्रेस विधायकों ने उन्हें मना भी लिया और कालिया ने वापिस अपनी सीट पर आकर चर्चा में हिस्सा लिया। कालिया ने कहा कि बोलने का समय न मिलने के कारण वह अपनी भावनाओं को नहीं रोक पाए और सदन के बीचो-बीच धरने पर बैठ गए। कालिया के इस व्यवहार को लेकर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने व्यवस्था दी कि वह सभी विधायकों को अपनी बात रखने का पूरा मौका देते हैं और सभी सदस्य मर्यादा में रहकर सदन में व्यवहार करें।
रविद्र चौधरी