“खिचड़ी” के बिना अधूरी है हिमाचल की लोहड़ी

“खिचड़ी” के बिना अधूरी है हिमाचल की लोहड़ी

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मंडी। यूं तो लोहड़ी का त्योहार मकर सक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है लेकिन हिमाचल प्रदेश में मकर सक्रांति (Makar Sakranti) को आम भाषा में लोहड़ी ही कहा जाता है। इस दिन की खासियत यह है कि आज माश की दाल की बनी खिचड़ी को देसी घी, दूध और मक्खन के साथ परोसा जाता है। मंडी (Mandi) और इसके साथ लगते जिलों में शायद ही कोई घर ऐसा होगा जहां पर आज माश की दाल की खिचड़ी न बनी है और घरवालों ने उसे देसी घी के साथ न खाया हो। मंडी जिला के लोग आम भाषा में रिश्तेदारों को यह कहकर बुलाते हैं कि ’’लोहड़ी को खिचड़ी खाने जरूर आना’’।


मंडी जनपद में मकर सक्रांति का त्योहार (Festival) मनाने की परपंरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि इस दिन से भयंकर सर्दी का प्रकोप धीरे-धीरे कम होने लगता है और दिन भी बड़े होने लगते हैं। इसी उपलक्ष्य पर इस त्योहार को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मंगलवार को मंडी जनपद में यह त्योहार बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंडी जिला के तहत आने वाले सभी घरों में लोगों ने माश की दाल की खिचड़ी बनाई और देसी घी के साथ इसका आनंद उठाया। वहीं, घर आए हुए मेहमानों (Guests) को भी खिचड़ी देसी घी के साथ परोसी गई। बता दें कि इस त्योहार के प्रति लोगों में भारी उत्साह देखने को मिलता है और लोग अपने सगे-संबंधियों को घर पर विशेष रूप से आमंत्रित करते हैं।

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