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आर्थिक रूप से कमजोर कितने बच्चों को दिया दाखिला, हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग से मांगा जवाब
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने शिक्षा विभाग (HPBOSE) से पूछा है कि क्या प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) व वंचित वर्ग के 20 फीसदी बच्चों को दाखिला (Admission) दिया जा रहा है। सरकार ने कोर्ट को बताया था कि इस बात का पता लगाने के लिए प्रत्येक जिले में स्वतंत्र कमेटी का गठन किया है। यह कमेटियां इन बच्चों की ओर से खर्च की गई फीस वापसी हेतु दस्तावेजों (Documents) की जांच भी करगी।
अब 5 अगस्त को होगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस बाबत स्टेट्स रिपोर्ट (Status Report) तलब करते हुए मामले की सुनवाई 5 अगस्त को निर्धारित की है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि वह कमेटियों द्वारा प्रत्येक जिले से एकत्रित जानकारी मुहैया कराए। उल्लेखनीय है कि प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) ने राज्य सरकार को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों की अक्षरशः अनुपालना सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए थे। इस मामले में कोर्ट (Court) ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के अंतर्गत निजी स्कूलों में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को 20 से 25 फीसदी आरक्षण देने के आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट तलब की थी। कोर्ट ने सरकार को कहा था कि वह अधिनियम के प्रावधानों की अनुपालना करने बाबत मात्र दिखावा न करे।
25 फीसदी आरक्षण देने के थे आदेश
अपने पिछले आदेशों में कोर्ट ने सभी सरकारी सहायता प्राप्त और गैर सरकारी सहायता प्राप्त (Non Government Aided) निजी स्कूलों को आदेश दिए थे कि वह कमजोर वर्ग से संबंधित और वंचित समूह के छात्रों को 25 फीसदी आरक्षण दे। उन्हें इसकी जानकारी हिंदी और अंग्रेजी भाषा में नोटिस बोर्ड (Notice Board) पर भी लगाने के आदेश जारी किए थे। आम जनता की जानकारी के लिए नोटिस को स्कूल के परिसर के बाहर चिपकाने के साथ-साथ पंचायत घर, सार्वजनिक स्थान, पंचायतों के विभिन्न वार्ड, बस स्टॉप, नगर परिषद, नगरपालिका के विभिन्न वार्ड में चिपकाने के आदेश दिए गए थे। स्कूलों में प्रवेश शुरू होने से पहले ऐसे छात्रों को आवेदन करने के लिए कम से कम 30 दिन का समय देने को कहा गया था। खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारीयों को आदेश दिए गए थे कि वह संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को आरक्षण (Reservation) की जानकारी दे। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि वह गठित कमेटियों से हिदायत एकत्रित कर यह भी पता लगाए कि क्या संबंधित स्कूलों में हाईकोर्ट (High Court) द्वारा जारी उपरोक्त आदेशों की अनुपालना की जा रही है।