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कितने गुरुवार व्रत रखना शुभ? जानिए पूजा विधि और लाभ
हिंदू धर्म के अनुसार, गुरुवार (Guruvar) का दिन श्री हरि विषणु (Shri Hari Vishnu) को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विषणु की अराधना की जाती है। मान्यता है कि श्री हरि की पूजा करने से मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) की कृपा भी बनी रहती है। घर में धन-संपदा की कमी नहीं आती। वहीं, इस व्रत के प्रभाव से कुंडली में गुरु ग्रह भी मजबूत होते हैं। गुरुवार का व्रत करने से वैवाहिक जीवन भी सुखमय बना रहता है। ऐसी भी मान्यता है कि यदि कुंवारी कन्या ये व्रत करे तो उसे मनचाहा वर प्राप्त होता है। यदि आप गुरुवार व्रत करना चाह रहे हैं तो व्रत से जुड़े नियमों को जरूर जानें।
16 गुरुवार का व्रत करना शुभ
गुरुवार व्रत (Guruvar Vrat) आप 1, 3, 5, 7, एक साल, आजीवन या संकल्प के अनुसार कर सकते हैं। 16 गुरुवार का व्रत करना बेहद शुभ माना जाता है। जब व्रत पूरे हो जाएं तो इसका उद्यापन कर दें। अगर आप गुरुवार व्रत पहली बार कर रहें है तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, अनुराधा नक्षत्र वाले गुरुवार के व्रत की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। इससे श्री हरि की कृपा बनी रहती है। लेकिन पौष माह में इस व्रत की शुरुआत न करें।
गुरुवार व्रत की पूजा विधि (Puja Method)
- गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें।
- भगवान विष्णु का ध्यान रखते हुए व्रत का संकल्प लें, विधि-विधान से पूजा करें।
- भगवान को पीले फूल, पीले चंदन के साथ पीले रंग (Yellow Colour) का भोग लगाएं।
- इसके बाद धूप, दीप आदि जलाकर बृहस्पति देव के व्रत कथा का पाठ कर लें।
- केले (Banana) की जड़ में जल अर्पण करने के साथ भोग आदि लगाएं।
- फिर दिनभर फलाहार व्रत रखें और शाम को पीले रंग का भोजन ग्रहण कर लें।