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शुक्र प्रदोष व्रतः कैसे करें भगवान शिव व मां पार्वती को प्रसन्न
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत बहुत अहम माना जाता है। यह व्रत त्रयोदशी के दि रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा की जाती है। हर माह दो प्रदेश व्रत आते हैं। इस माह यह 9 अप्रैल को है। शुक्रवार को आने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या फिर चंद्र प्रदोषम कहते हैं। इस दिन व्रत करने के सकारात्मक विचार आते हैं। प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए। इसके साथ ही साफ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प करें। इस दिन कोई आहार न लें। शाम को सूर्यास्त होने के एक घंटे पहले स्नान करके सफेद कपड़े पहन लें।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 9 अप्रैल, शुक्रवार, सुबह 3 बजकर 16 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 10 अप्रैल, शनिवार, सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर
कैसे करें यह व्रत
– नित्यकर्मों से निवृ्त होकर भगवान शिव का स्मरण करें।
– पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।
– पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।
– इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाएं।
– उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें।
– पूजन में भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।
प्रदोष व्रत को भी कठिन व्रतों में से एक माना गया है। कुछ स्थानों पर इस व्रत को निर्जला रखने की भी परंपरा है. प्रदोष व्रत में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही स्वच्छता का भी विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत पूरे दिन रखा जाता है और इस व्रत में फलाहार किया जाता है। उपवास के दौरान गलत विचारों से दूर रहा जाता है, भगवान का स्मरण किया जाता है।