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हाईकोर्ट ने हिमाचल में मादक पदार्थों के उत्पादन, व्यापार में वृद्धि की मांगी रिपोर्ट
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मादक पदार्थों के उत्पादन (Narcotics Production) और व्यापार में वृद्धि की एक अध्ययन रिपोर्ट (Study Report) मांगी है, साथ ही राज्य में मादक पदार्थों से जुड़े अपराधों को रोकने के उपायों की जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने मादक पदार्थों के अवैध उत्पादन और व्यापार को कम करने के तरीकों के बारे में बताने को भी कहा है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 2 नवंबर को निर्धारित की है।
अदालत ने भांग की खेती (Cannabis Cultivation) को कानूनी मान्यता प्रदान करने के मामले में यह आदेश दिए। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सकारात्मक सोच सामने न आने के कारण इस मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई थी। 24 जुलाई 2019 को पारित आदेशों में केंद्र व राज्य सरकार को आठ हफ्ते के भीतर इस मामले में निर्णय लेने को कहा था। चार वर्षों का समय बीत जाने के बाद भी केंद्र और राज्य सरकार ने इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया। भांग की खेती को मान्यता देने के बारे में दलील दी गई है कि दवाई के लिए उपयोग की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों में भांग की खेती किसानों की आर्थिक हालत (Farmers Financial Condition) और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से निपट सकती है।
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भांग की खेती को लेकर सरकार की दलील
सरकार ने दलील रखी है कि भांग के पौधों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण (Pollution) को खत्म किया जा सकता है। भांग को कैंसर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इसे नेशनल फाइबर पॉलिसी 2010 के अंतर्गत लाया जा सकता है। इन पदार्थों पर किए गए अनुसंधान के बाद इसके उपयोग के बारे में नशे के प्रचलन को खत्म करते हुए दवा के तौर पर उपयोग में लाया जाने लगा है। अदालत के समक्ष भांग की खेती पर लगाई गई रोक को हटा कर इसे कानूनी मान्यता देने की गुहार लगाई गई है।