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नशामुक्ति केंद्रों की दयनीय स्थिति पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
Last Updated on June 14, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल के नशामुक्ति केंद्रों की दयनीय स्थिति से जुड़े मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से जानकारी तलब की है। इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता) एवं निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता को भी प्रतिवादी बनाया गया है।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा नशा मुक्ति केंदों को मुहैया करवाई जा रही वित्तीय सहायता की जानकारी भी मांगी है। हाईकोर्ट ने अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किए। खबर में बताया गया है कि हिमाचल को नशा मुक्त राज्य बनाने के राज्य सरकार के दावों के बावजूद, एकीकृत व्यसन पुनर्वास केंद्र की स्थिति एक अलग कहानी कहती है। कुल्लू (महिला), धर्मशाला, चंबा, मंडी, सिरमौर, बिलासपुर और सोलन में स्थापित केंद्र अनुदान प्राप्त होने के बावजूद अभी तक चालू नहीं हुए हैं। 2019 में शिमला में शुरू किया गया 15 बेड का केंद्र बंद होने की कगार पर है, क्योंकि पिछले चार साल से अनुदान राशि प्राप्त नहीं हुई है। उक्त केंद्र नए मरीजों को जोड़ने की स्थिति में नहीं है। वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों को भी छुट्टी पर जाना पड़ा है। किराए के भवन में स्थित होने के कारण यह केंद्र किराया, बिजली, पानी, टेलीफोन और इंटरनेट शुल्क का भुगतान करने में असमर्थ है और इसके अलावा, पीड़ितों को दवा और भोजन उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है। ओपीडी और आईपीडी की सुविधा भी बंद कर दी गई है। खबर में यह भी बताया गया है कि इस केंद्र ने उच्च अधिकारियों के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। प्रदेश में मादक पदार्थों की लत के मामले बढ़ रहे है।
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प्रदेश में शिमला, कुल्लू, ऊना और हमीरपुर में 60 बिस्तरों की कुल क्षमता के साथ चार कार्यात्मक आईआरसीए हैं। अन्य तीन पूरी क्षमता से चल रहे हैं लेकिन इन्हें भी वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा है की नशा मुक्ति केंद्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करवाने हेतु राज्य सरकार के निवेदन पर क्या कदम उठाए हैं। मामले पर सुनवाई 26 जुलाई को होगी।