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IGMC शिमला मैस टेंडर मामला पहुंचा हाईकोर्ट, यदोपती ठाकुर ने लगाई याचिका
Last Updated on March 30, 2021 by
शिमला। हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) शिमला में खाने के ठेके का मामला हाईकोर्ट (High Court) पहुंच गया है। इस मामले में हिमाचल युवा कांग्रेस (Himachal Youth Congress) के कार्यकारी अध्यक्ष यदोपती ठाकुर ने हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। यदोपती ठाकुर (Yadopati Thakur) ने न्यायालय से इस टेंडर को रद्द करने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। आपको बता दें कि यदोपती ठाकुर (Yadopati Thakur) ने आरोप लगाया है कि चहेते लोगों को ज्यादा पैसे देकर यह टेंडर दिया गया है। यदोपती ठाकुर का कहना है कि आईजीएमसी शिमला (IGMC Shimla) में खाने देने का काम पहले रोगी कल्याण समिति द्वारा किया किया जाता था।
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हिमाचल युवा कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष का कहना है कि पहले अस्पताल की रोगी कल्याण समिति के माध्यम से यह काम 2.39 करोड़ में किया जाता था। उसी काम का ठेका बाहरी कंपनी को 4.96 करोड़ में दिया गया है। यही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया है कि कंपनी को ठेका देने के लिए शर्तें भी कंपनी के हिसाब से तय की गई थीं ताकि प्रदेश का कोई भी व्यक्ति हिस्सा न ले सके। उन्होंने पूरे मामले की जांच करवाने की भी मांग की थी, लेकिन अब मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है।
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क्या कहा था आईजीएमसी प्रशासन ने
इस पूरे मामले को यदोपती ठाकुर (Yadopati Thakur) द्वारा उठाने के बाद आईजीएमसी प्रशासन की ओर से भी रिप्लाई था। आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ. रजनीश पठानिया और एमएस डॉ. जनकराज ने कहा था कि मैस के टेंडर प्रक्रिया में लगे आरोपों के बाद प्रशासन द्वारा एक जांच कमेटी गठित की गई थी। कमेटी को दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देनी थी। उस समय उन्होंने कहा था कि यदि टेंडर में कोई गड़बड़ी होती है तो इस फर्म का टेंडर रद्द कर दिया जाएगा। हालांकि इस जांच कमेटी क्या रिपोर्ट दी यह साफ नहीं है।
इसके साथ ही एमएस डॉ. जनकराज ने बताया था कि आईजीएमसी की मैस चलाने के लिए 16 रेगुलर रसोइयों की जरूरत, जबकि इस समय केवल तीन रसोइए ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा था कि एक रसोइया रखने में 40 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन देना पड़ेगा। इस हिसाब से सालाना सरकार पर 76.80 लाख रुपए का वित्तीय बोझ पड़ता है, जबकि राशन का खर्चा आरकेएस का हर साल 1.27 करोड़ रुपए बैठता है। रोगियों (Patients) से खाने के लिए 10 रुपए लिए जाते हैं उससे केवल 13 लाख रुपए सालाना आमदनी हो रही है। किचन सर्विस को चलाने के लिए प्रशासन का लगभग 4.75 करोड़ के खर्च हो रहा है।