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मंडी। हिमाचल की संस्कृति रही है कि यदि कोई आपको अपनी कोई वस्तु इस्तेमाल करने के लिए देता है तो आप उसे इस्तेमाल करने के साथ-साथ उसकी पूरी देखरेख भी करते हैं और उसी अवस्था में उसे वापिस लौटाने का प्रयास भी करते हैं। लेकिन आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को शायद इस संस्कृति की जानकारी नहीं है। यही कारण है कि दस वर्षों तक राज्य सरकार (State Govt) के जिन भवनों का आईआईटी ने ठोक बजाकर इस्तेमाल किया उसे आज खंडहर बनाकर वापस सरकार के हवाले कर दिया गया है। बात हो रही है बस स्टैंड के साथ लगते पीडब्ल्यूडी विभाग के रेस्ट हाउस और टूरिज्म विभाग के होटल की।
16 नवंबर, 2009 को इन दो भवनों सहित डिग्री कॉलेज मंडी (Degree college Mandi)के भवन को आईआईटी के हवाले किया गया था। कॉलेज स्टूडेंट्स के संघर्ष के बाद कॉलेज का भवन आईआईटी ने समय रहते वापस लौटा दिया लेकिन पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस और होटल मांडव पर कब्जा जमाए रखा। आईआईटी का इन भवनों को वापिस लौटाने का कोई ईरादा नहीं था, क्योंकि आईआईटी प्रबंधन जिला मुख्यालय पर अपना एक कार्यालय चाह रहा था। लेकिन दबाव के चलते यह भवन वापस लौटाने पड़े। बीती 18 दिसंबर 2019 को दस वर्षों के बाद आईआईटी ने इन भवनों को वापस लौटा दिया। पीडब्ल्यूडी के 15 कमरों वाले रेस्ट हाउस में होस्टल का संचालन होता था। इस भवन की इतनी दुर्गति कर दी गई है कि अब इसकी पूरी मरम्मत पर करीब एक करोड़ रूपयों का खर्च आएगा।
लोक निर्माण विभाग मंडल 2 के अधिशाषी अभियंता ई. केके शर्मा ने बताया कि विभाग का रेस्ट हाउस उन्हें आईआईटी से वापिस प्राप्त हो चुका है और अब इसकी मरम्मत के लिए एक करोड़ का एस्टीमेट बनाया गया है। उन्होंने बताया कि भवन में काफी ज्यादा तोड़फोड़ हुई है और इसे हैवी मेंटेनस की जरूरत है। वहीं दूसरी तरफ टूरिज्म विभाग के होटल मांडव भवन की हालत थोड़ी बेहतर नजर आ रही है। लेकिन इसकी मरम्मत पर भी कम से कम 20 लाख रुपए की राशि खर्च होने का एस्टीमेट बनाया गया है। हालांकि अब यह भवन क्लस्टर यूनिवर्सिटी के संचालन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन भवन की मरम्मत करवाना जरूरी है और उसके लिए अब धन का इंतजार किया जा रहा है। ई. केके शर्मा ने बताया कि धन उपलब्ध होते ही मरम्मत कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
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