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जहां गद्दी समुदाय रखेगा सिर पर हाथ, कांगड़ा-चंबा में उसी की जीत तय
धर्मशाला। चुनाव प्रचार (Election Campaign) अंतिम दौर पर पहुंच चुका है। हर राजनीतिक पार्टी अपनी-अपनी तरफ से पूरा जोर लगा रही है। वहीं अब पार्टियां यह समझ चुकी हैं कि मुद्दों पर नहीं जीत जातीय समीकरणों (ethnic equations) के आधार पर ही मिल पाएगी। वहीं अगर जिला कांगड़ा और चंबा की बात की जाए तो यहां के 20 विधानसभा क्षेत्रों में गद्दी समुदाय (Gaddi community) का बहुत ज्यादा प्रभाव है। इसलिए यह मानकर चलना चाहिए कि जिस ओर गद्दी समुदाय चला गया जीत उसी पार्टी की तय है। ज्ञात रहे कि चंबा में भटियात, डलहौजी, चंबा, चुराह और जिला कांगड़ा (Bhattiyat, Dalhousie, Chamba, Churah and District Kangra) में नूरपुर, इंदौरा, जवाली, फतेहपुर, शाहपुर, धर्मशाला और बैजनाथ सहित अन्य विधानसभा क्षेत्रों में गद्दी समुदाय की बहुलता है। यदि हम भरमौर की ही बात करें तो यहां अधिकांश मतदाता इसी समुदाय के हैं। वहीं हम वर्ष 2011 की जनगणना पर गौर फरमाएं तो जिला कांगड़ा की जनसंख्या 15 लाख 72 हजार के करीब है।
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इसमें 12 लाख 673 हजार मतदाता हैं। इनमें चार लाख तो गद्दी समुदाय के ही हैं। वहीं भटियात की बात करें तो यहां इस समुदाय के 25 हजार के लगभग मतदाता हैं। वहीं डलहौजी में करीबन 16 हजार है। इसी के साथ चुराह में 16 हजार की संख्या है। वहीं चंबा में करीब 25 हजार मतदाता हैं। कांगड़ा के पालमपुर में इस समुदाय के 23 हजार वोटर हैं। इसी के साथ बैजनाथ में 14 हजार से अधिक हैं, वहीं सुलह में करीब दस हजार वोटर हैं। धर्मशाला में लगभग 14 हजार की संख्या है।
शाहपुर में 16 हजार की संख्या है। नूरपुर में करीब 17 और जवाली में करीब आठ हजार वोटर गद्दी समुदाय के हैं। इसी तरह जयसिंहपुर में 5500, नगरोटा बगवां में 6000, कांगड़ा, ज्वालामुखी तथा इंदौरा में 5000 के करीब गद्दी मतदाता हैं। कांगड़ा और चंबा जिले के विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक दलों की जीत और हार तय करने में गद्दी समुदाय एक बड़ी भूमिका निभाता है। अब बात साफ है कि जहां गद्दी समुदाय सिर पर हाथ रख देगा कांगड़ा-चंबा में उसी पार्टी की जीत हो सकती है। यह समुदाय जीत के सारे समीकरणों को बदलने की ताकत रखता है।