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इजरायल की तरह भारत बना रहा है देसी आयरन डोम, बनने में 5 साल लगेंगे
नई दिल्ली। इजरायल (Israel) की तरह भारत भी 2028-2029 तक अपना देसी आयरन डोम (Made In India Iron Dome) बना लेगा। इजरायल के आयरन डोम ने हमास (Hamas) के साथ जारी संघर्ष में गाजा पट्टी से दागे गए रॉकेटों को बखूबी झेला है। भारत का देसी आयरन डोम 350 किमी तक की दूरी पर स्टील्थ लड़ाकू विमानों, ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और सटीक-निर्देशित हथियारों का पता लगा सकता है और उन्हें नष्ट कर सकता है।
केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी आयरन डोम परियोजना का नाम कुशा है। इसके तहत डीआरडीओ (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (LR-SAM) सिस्टम की “इंटरसेप्शन कैपिबिल्टी” हाल ही में एयर फोर्स में शामिल किए गए रूसी एस-400 (S400) ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम (Air Defense System) जैसी होगा। इस डिफेंस सिस्टम में लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ मोबाइल एलआर-एसएएम में 150 किमी, 250 किमी और 350 किमी की दूरी पर दुश्मनों के टारेगट को मारने के लिए डिजाइन की गई विभिन्न प्रकार की इंटरसेप्टर मिसाइलें (Interceptor Missiles) होंगी।
डेढ़ साल पहले मिली थी मंजूरी
मई 2022 में मिशन-मोड परियोजना के रूप में एलआर-एसएएम सिस्टम के विकास को रक्षा मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी गई थी। रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के लिए 21,700 करोड़ रुपये की लागत से अपने पांच स्क्वॉड्रनों की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकृति दी थी। इसमें लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ मोबाइल एलआर-एसएएम में 150 किलोमीटर, 250 किलोमीटर और 350 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मनों को मारने के लिए तैयार की गई अलग-अलग तरह की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी।
350 किमी दूर तक वार करेगा
इसे 250 किलोमीटर की दूरी पर लड़ाकू आकार के लक्ष्यों को मार गिराने के लिए तैयार किया जाएगा, जिसमें AWACS (हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली) और मध्य हवा में ईंधन भरने वाले बड़े विमानों को 350 किलोमीटर की दूरी पर रोक दिया जाएगा। डीआरडीओ के अनुसार, रणनीतिक और सामरिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में व्यापक वायु रक्षा कवर प्रदान करने के लिए, एलआर-एसएएम कम-रडार क्रॉस-सेक्शन वाले उच्च गति वाले लक्ष्यों के खिलाफ भी प्रभावी होगा।