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डीसी किन्नौर के सामने ही उलझ पड़े एमएलए जगत सिंह नेगी और वन निगम उपाध्यक्ष सूरत सिंह, यह है बड़ी वजह
किन्नौर। रिकांगपियो (Reckongpeo) में जिला वेलफेयर विभाग द्वारा विभिन्न आवासीय आबंटन योजना के तहत आयोजित बैठक में माहौल उस समय गरमा गया, जब विधायक किन्नौर जगत सिंह नेगी (MLA Jagat Singh Negi ) और प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत सिंह ( Surat Singh) डीसी किन्नौर के सामने ही उलझ गए। हालांकि इस दौरान डीसी ने दोनों के बीच मध्यस्था करने की भूरपूर कोशिश की, लेकिन उनकी एक ना चली। विधायक किन्नौर जगत सिंह नेगी ने कहा कि आज प्रशासन द्वारा वेलफेयर विभाग से संबंधित विभिन्न आवासीय आबंटन योजना (Residential Allotment Plan) के तहत बैठक रखी गई थी, जिसमें प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत सिंह ( Surat Singh) को सरकार द्वारा लाभ के पद पर होने के बावजूद वेलफेयर विभाग (Welfare Department) के आवासीय आबंटन योजना में सदस्य रखा गया है, जबकि सरकार के लाभ के पद पर रहते हुए किसी भी विभाग में सदस्य नहीं रह सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि आज की बैठक को प्रशासन ने समयानुसार नहीं रखा था और सूरत सिंह इस बैठक में बिना तथ्यों के बात रख रहे थे। वहीं, उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से डीसी (DC)ने भी इस बैठक को उनके बात सुने ही एक मिनट के अंदर समाप्त कर दिया, जो नियमों के सख्त खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में सूरत सिंह अपनी गरिमा को भूलकर बदतमीजी पर उत्तर गए थे, जबकि वह सरकार के नॉमिनेटेड पद पर आसीन हैं न कि जनता के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं। जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष (Forest Corporation Vice President) सूरत सिंह, सरकार द्वारा दिए गए पद के अनुसार काम किए बिना दूसरे कार्यक्रमों में टांग अड़ाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि सूरत सिंह सरकार के किसी भी प्रोटोकॉल (Protocol) में आते हैं और हर बैठक में चुने हुए जनप्रतिनिधियों की कुर्सी पर बैठने का काम करते हैं। ऐसे में विधायक ने सूरत सिंह को सलाह दी है कि यदि सूरत सिंह चुने हुए जनप्रतिनिधियों के बीच बैठने का शौक रखते हैं तो पहले वार्ड मेंबर का चुनाव (Election) लड़ें। वहीं, जब सूरत नेगी से मीडिया ने बात करने की कोशिश की तो वह वाहन में बैठकर चले गए।
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