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शिमला। हिमाचल विधानसभा में जयराम सरकार (Jai Ram Govt) के वित्तीय प्रबंधन की पहली भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पेश की गई। 2018-19 के दौरान राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) 3,512 करोड़ गत वर्ष से 3,870 करोड़ रह गया है। यह 358 करोड़ घट गया है। 2017-18 में 82 करोड़ का प्राथमिक घाटा 2018-19 में 510 करोड़ के प्राथमिक अधिशेष में परिवर्तित हो गया। 2018-19 के दौरान राज्य की राजस्व प्राप्तियों (30,950 करोड़) में विगत वर्ष (27,367 करोड़) से 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मात्र 33 प्रतिशत राजस्व (Revenue) प्राप्तियां राज्य के स्वयं के संसाधनों करों तथा कर- भिन्न से प्राप्त हुई, जबकि शेष 67 प्रतिशत केंद्रीय अंतरणों अर्थात् केंद्रीय करों व शुल्कों के राज्यांश (18 प्रतिशत) व भारत सरकार से सहायता अनुदान (49 प्रतिशत) से प्राप्त हुई। 2018-19 के दौरान राज्य के कुल व्यय (34,493 करोड़) में विगत वर्ष से 3,181 करोड़ (10 प्रतिशत) की वृद्धि हुई। राजस्व व्यय, कुल व्यय का 85.3 प्रतिशत रहा।
वर्ष 2018-19 के दौरान चार घटकों अर्थात वेतन व मजदूरी, पेंशन देयताएं, ब्याज भुगतान तथा उपदानों पर कुल व्यय, राजस्व व्यय का 73 प्रतिशत रहा। 2018-19 के दौरान, पूंजीगत व्यय (4,583 करोड़) विगत वर्ष (3,756 करोड़) से 827 करोड़ (22 प्रतिशत) बढ़ गया। कुल व्यय के सापेक्ष पूंजीगत व्यय का अंश 2017-18 के 12 प्रतिशत से 2018-19 में 13.29 प्रतिशत तक बढ़ गया। वर्ष की समाप्ति पर सकल राजकोषीय देयताएं विगत वर्ष से 6.41 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 54,299 करोड़ रहीं । राजकोषीय देयताएं सकल राज्य घरेलू उत्पाद की 36 प्रतिशत तथा राजस्व प्राप्तियों की 1.75 गुणा थी। कुल लोक ऋण 2014-15 के 25,729 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में 36,425 करोड़ हो गया, जिसकी वार्षिक औसत वृद्धि दर 9.60 प्रतिशत दर्ज की गई। कुल लोक ऋण में बाजार से उधारों का अंश 2014-15 के 59 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 65 प्रतिशत हो गया।
विगत वर्ष की अपेक्षा चालू वर्ष (2018-19) के दौरान कुल लोक ऋण पांच प्रतिशत बढ़ गया। आगामी 10 वर्षों में, बाजार ऋणों एवं उदय बॉड के कुल बकाया 26,573 करोड़ में से राज्य को बाजार ऋणों व उदय बॉड के मूलधन के 25,005 करोड़ (94.10 प्रतिशत) एवं 12,521 करोड़ राशि के ब्याज की अदायगी करनी है। राजस्व अधिशेष, राजस्व प्राप्तियों व राजस्व व्यय के मध्य के अन्तर को प्रस्तुत करता है। राजस्व अधिशेष 2017-18 के 314 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में 1,508 करोड़ हो गया। वित्तीय प्रबंधन एवं बजटीय नियंत्रण वर्ष 2018-19 के दौरान, 46,984.68 करोड़ के कुल अनुदानों एवं विनियोजनों के प्रति 42,469.10 करोड़ (90.38 प्रतिशत) का व्यय हुआ। 4,515.58 करोड़ की समग्र बचतें, विभिन्न अनुदानों/विनियोजनों में हुई 5,336,95 करोड़ की बचतों में से 821.37 करोड़ के व्यय आधिक्य को घटाने के परिणामस्वरूप हुई, जिसे 2013-14 से 2017-18 की अवधि के 8,333.35 करोड़ के व्यय आधिक्य में जोड़ते हुए, भारत के संविधान की धारा 205 के तहत् राज्य विधानसभा से नियमितिकरण करवाने की आवश्यकता है।
12 उप-शीर्षों में 1,916.49 करोड़ के अनुपूरक प्रावधान अनावश्यक, अपर्याप्त सिद्ध हुए क्योंकि व्यय या तो मूल प्रावधान तक नहीं पहुंचा अथवा कुल व्यय आधिक्य को अपूरित छोड़ते हुए कुल प्रावधान से अधिक हुआ। अत्यधिक अभ्यर्पण या अपर्याप्त आवर्धन की दृष्टि से पुनर्विनियोजन अविवेकपूर्ण किए गए तथा 18 उप-शीर्षों में 617.17 करोड़ से ज्यादा व्ययाधिक्य एवं 12 उप-शीर्षों के अंतर्गत (प्रत्येक मामले में एक करोड़ से अधिक) 196.22 करोड़ से ज्यादा की बचतों में परिणत हुए। 155 उप- शीर्षों में, वित्तीय वर्ष के समाप्ति पर कुल प्रावधान (2,951.82 करोड़) में से (प्रत्येक मामले में 50 लाख या अधिक) 2,328.25 करोड़ (78.87 प्रतिशत) की राशि का अभ्यर्पण हुआ। लेखा/योजनाओं के 60 शीर्षों में 100 प्रतिशत अनुदानों का (801.05 करोड़ राशि) अय॑पण किया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 5128 करोड़ से संबंधित 5758 उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) में से 1898 करोड़ से ज्यादा के 2407 प्रमाणपत्र जारी ही नहीं हो सके हैं। टूर आदि पर जाने के लिए दिए जाने वाले एडवांस को बनाई गई आकस्मिक बिलिंग व्यवस्था की निगरानी ना होने से इस फंड के भी दुरुपयोग होने की आशंका है। राज्य सरकार अनुदानग्राही संस्थानों को जारी अनुदानों के संबंध में प्रयुक्ति प्रमाणपत्रों की समयबद्ध प्रस्तुति सुनिश्चित करें तथा समीक्षा करें कि क्या प्रयुक्ति प्रमाणपत्रों को भारी मात्रा में लंबित रखने वाले अनुदानग्राहियों को अनुदान देना जारी रखना चाहिए। 4 में से 11 स्वायत्त संस्थाओं ने वित्त वर्ष 2018-19 के अपने खाते सितंबर 2019 तक सीएजी (CAG) को नहीं भेजे, जिसकी वजह से ऑडिट नहीं हो सका। इन सभी वजहों से सरकार के पैसे के खर्च की निगरानी न करने पर पैसे के दुरुपयोग और घपलों के होने की आशंका जताई गई है। मार्च 2019 तक राज्य सरकार ने 93.79 लाख राशि के सरकारी धन से अंतर्ग्रस्त दुर्विनियोजन/हानि, चोरी इत्यादि के 44 मामले सूचित किए, जिन पर अंतिम कार्रवाई लंबित थी। इन 44 मामलों में से 41 मामले पांच साल से अधिक पुराने थे। अग्रिमों की पहचान/विभेद एवं उनकी अनुवर्ती निगरानी के अभाव में सार आकस्मिकता बिलों के माध्यम से अग्रिमों का आहरण तथा राज्य की समेकित निधि के बाहर बैंक खातों में निधियों के अवरोधन के फलतः प्रभाव से व्यय की अत्योक्ति तथा निधियों के दुर्विनियोजन/जालसाजी के होने के जोखिम को बढ़ाता है।
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