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जलोड़ी दर्रे की बर्फ से ढकी खामोश वादियां पर्यटकों को करती हैं आकर्षित
Last Updated on February 6, 2020 by saroj patrwal
परस राम भारती/बंजार। जलोड़ी दर्रा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में हिमालय पर्वत की चोटी पर स्थित एक ऊंचा दर्रा है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से करीब से दस हजार फुट है। यह दर्रा इनर सराज और बाह्य सराज के मध्य स्थित कुल्लू जिला (Kullu District) के बंजार और आनी उपमंडल को आपस में जोड़ता है। जलोड़ी दर्रा से पूर्व की ओर बाह्य तथा पशिचम की ओर इनर सराज का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। यहां तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह दर्रा सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी होने के कारण अक्सर मध्य दिसंबर से फरवरी माह तक वाहनों की आवाजाही के लिए बंद रहता है जो आमतौर पर हर साल मार्च माह के दूसरे सप्ताह में खुलता है। इस दौरान बाह्य सराज के आनी और निरमंड खंड की 58 पंचायतों के हज़ारों लोगों को जिला मुख्यालय कुल्लू में अपने सरकारी व जरूरी कार्य करने के लिए जलोड़ी दर्रा हो कर पैदल ही करीब 6 से 8 फुट बर्फ के बीच बंजार पहुंचना पड़ता है या तो उन्हें भारी भरकम पैसा खर्च करके वाया शिमला करसोग व मंडी होकर कई किलोमीटर का सफर तय करके जिला मुख्यालय कुल्लू पहुंचना पड़ता है।
जलोड़ी दर्रा, जिभी, शोजागढ़, रघुपूर गढ़, खनाग, टकरासी और सरेउलसर झील जैसे प्राकृतिक सौंदर्य (Natural beauty) से लबरेज खूबसूरत स्थल वर्षों पहले ही साहसिक पर्यटन के नक्शे पर आ चुके हैं। यह स्थल अंग्रेजी शासन के समय से ही देशी-विदेशी पर्यटकों (Tourists) को आकर्षित करते रहे हैं। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अंग्रेजों को भी खूब भाता था जो अक्सर यहां पर आते-जाते रहते थे, यहां पर उन्होंने उस समय शोजागढ़ में अपने ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया था जहां पर ठहराव के पश्चात वह आगे शिमला का सफर तय करते थे। यह गेस्ट हाउस आज भी यहांभ्रमण करने वाले अतिथियों क लिए हर समय उपलब्ध रहता है। इसके अलावा इस समय शोजागढ़ में वन विभाग द्वारा बनाया गया एक अन्य सरकारी रेस्ट हाउस भी उपलब्ध है।
आजकल भारी बर्फबारी के कारण जलोड़ी दर्रा समेत पूरी जिभी घाटी अपनी अलग ही खुबसूरती पेश कर रही है। यहां की पहाड़ों का दृश्य मौसम के साथ-साथ बदलता रहता है। हर मौसम में यहां की वादियां अपना अलग-अलग आकर्षण व नजारा पेश करती हैं। मौसम बदलते ही यहां की वादियों का रंग रूप भी बदल जाता है। यहां पर बर्फ से ढकी चोटियां, हरे भरे जंगल, ऊंचे पहाड़ों से गिरते हुए झरने, परिन्दों की सुरलेहरिओं से गुनगुनाती धारें, उफनती गरजती नदियां, सुरमयी झीलें, ढलानदार वादियां और चारागाहों जैसी अछूती दृश्यावली के कारण ही यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। हालांकि अभी तक नाम मात्र पर्यटक ही इस स्थान पर पहुंच रहे हैं लेकिन दर्रा बहाल होते ही यहां पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। गर्मियों के मौसम में यहां सरेउलसर जाने वाले रास्ते में अनेकों कैंप साइटें लगती है।
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जिभी घाटी व जलोड़ी दर्रा तक पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर दिल्ली चंडीगढ़ या मंडी की ओर से आना हुआ तो पहले एक छोटा सा कस्बा बंजार पड़ता है जहां से तीर्थन घाटी और जिभी जलोड़ी की ओर अलग-अलग दिशा में सड़क मार्ग जाते हैं। बंजार से आग जलोड़ी दर्रा की ओर 8 किलोमीटर की दूरी पर एक सुन्दर गांव जिभी आता है जहां पर घाटी के दोनों ओर देवदार के हरे भरे जंगल बहुत ही खुबसूरत नजारा पेश करते हैं।
जलोड़ी पास के दाईं तरफ को दो किलोमीटर के फासले पर रघुपूर गढ़ स्थित है जो काफी ऊंचाई पर होने के कारण पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण रखता है। जलोड़ी से उत्तर दिशा की तरफ पांच किलोमीटर आगे एक अत्यंत ही खूबसूरत झील स्थित है जिसे सरेउलसर झील कहते हैं। यह झील समुद्र तट से करीब 3560 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस झील के आसपास खरशु और रखाल के बड़े बड़े पेड़ हैं जो बहुत ही सुहावने लगते हैं। जलोड़ी जोत से इस झील तक पैदल ही पहुंचा जा सकता है। जलोड़ी दर्रा के आसपास और भी कई खुबसूरत और आकर्षक पर्यटन स्थल मौजूद हैं जिसमें तीर्थन घाटी का ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, चैहनी कोठी, बाहु, गाड़ागुशैनी, खनाग, टकरासी, बशलेउ दर्रा, आनी और निरमंड आदि स्थल मुख्य रूप से पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन चुके हैं। इन खूबसूरत स्थलों में ग्रामीण व साहसिक पर्यटन, शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेककिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार संभावनाएं है ।
सरकार को इन स्थलों में मूलभूत सुविधाएं जुटा कर पर्यटन के लिए विकसित करने की आवश्यकता है। हालांकि आज से पहले भी सोझा जैसे स्थल पर टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के प्रयास कागजों में कई बार होते रहे लेकिन धरातल स्तर पर अभी तक सरकार की कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है। जलोड़ी दर्रा जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में जहाँ गर्मियों के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती हैं यह स्थल अभी तक बिजली, पानी, पार्किंग और सार्वजनिक सौचालय जैसी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। दिल्ली से वाया चंडीगढ़ शिमला और आनी की तरफ से भी इन स्थलों पर सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।