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दक्षिण अफ्रीका में मिला नया कोरोना, वैज्ञानिकों की चेतावनी, तीन में से एक मरीज की होगी मौत
पूरी दुनिया से अभी ओमिक्रोन (Omicron) का खतरा पूरी तरह से टला भी नहीं था कि अब एक और वैरियंट (Variant) ने दस्तक दे दी है। अब दुनिया में नए वैरिएंट नियोकोव (NEOCOV) का डर सताने लगा है। वुहान के वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी दी है कि दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में मिले इस वैरिएंट की संक्रमण और मृत्यु दर दोनों ही बहुत ज्यादा है। इसके हर तीन मरीजों में से एक की जान जा सकती है। बता दें वुहान (Wuhan) वहीं शहर हैए जहां से 2020 में कोरोना महामारी फैली थी। रूस की न्यूज एजेंसी स्पूतनिक के मुताबिक यह वैरिएंट नया नहीं है। यह कोरोना वैरिएंट मर्स कोव वायरस से जुड़ा हुआ है। सबसे पहले साल 2012 और 2015 में पश्चिम एशियाई देशों में इसके मरीज मिले थे। दक्षिण अफ्रीका में अभी यह नियोकोव वैरिएंट चमगादड़ के अंदर देखा गया है। पहले पशुओं में ही देखा गया था।
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इससे पहले ओमिक्रॉन के सब-स्ट्रेन (बीए-2) ने दुनिया की नींद उड़ा रखी है। ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट से इसलिए भी ज्यादा खतरा है, क्योंकि आरटीपीसीआर टेस्ट (RTPCR Test) भी इसे पकड़ नहीं पा रहे हैं। अब तक ये नया सब-वैरिएंट दुनिया के भारत समेत 40 देशों में दस्तक दे चुका है और माना जा रहा है कि ये वैरिएंट बहुत तेजी से दुनिया के बाकी देशों में भी फैल सकता है।
ऐसा है नया कोरोना का रुप
बायोरक्सीव वेबसाइट (Biorxiv Website) पर प्रकाशित शोध के मुताबिक एनईओसीओवी और उसका नजदीकी सहयोगी पीडीएफ-2180-सीओवी इंसानों को संक्रमित कर सकता है। वुहान विश्वविद्यालय और चाइना अकादमी ऑफ साइंसेज के शोधकर्ताओं के मुताबिक इस नए कोरोना वायरस (Corona Virus) के इंसानों की कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए केवल एक म्यूटेशन की जरूरत है। शोध में कहा गया है कि एनईओसीओवी वायरस में एमईआरएस की तरह से ही बहुत ज्यादा मरीजों की मौतें हो सकती हैं। यह आंकड़ा प्रत्येक 3 में से 1 मरीज हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने दी कोरोना के इस वैरिएंट की चेतावनी
वहीं, इस एनईओसीओवी वायरस में वर्तमान एसएआरएस-सीओवी-2 कोरोना वायरस के गुण हैं जो उसे ज्यादा संक्रामक बनाता है। इसके बारे में रूस के सरकारी वायरोलॉजी शोध केंद्र ने गुरुवार को एक बयान जारी करके कहा कि वेक्टर शोध केंद्र चीनी शोधकर्ताओं द्वारा निओकोव कोरोना वायरस के जमा किए गए आंकड़े से परिचित है। वर्तमान समय में यह इंसानों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है। हालांकि इसके खतरे को देखते हुए और ज्यादा अध्ययन किए जाने की जरूरत है।