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इस मंदिर में पूरी होती है हर भाई-बहन की मनोकामना, रक्षा बंधन पर उमड़ेगी भीड़
हमारे देश में साल भर में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। 11 अगस्त को रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की खुशी और लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए भाई को राखी बांधती हैं। वहीं, भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जो कि भाई-बहन के लिए बनाया गया है।
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बता दें कि ये दुनिया का इकलौता मंदिर है जो भाई-बहन के लिए बनाया गया है। ये मंदिर बिहार (Bihar) के सिवान के दारौंदा प्रखंड के भीखा बांध में स्थित है। इस मंदिर का नाम भैया-बहिनी है। इस मंदिर में श्रावण पूर्णिमा और भाद्र शुक्ल पक्ष अनंत चतुर्दशी के दिन मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग शामिल होते हैं।
पेड़ को बांधते हैं राखी
रक्षा बंधन के दिन इस मंदिर में लोगों को काफी भीड़ उमड़ती है। रक्षा बंधन के दिन लोग मंदिर में पूजा करने के बाद बरगद के पेड़ पर राखी बांधते हैं। इस मंदिर में लड़कियां पहले राखी चढ़ाकर फिर भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं।
भाई ने बहन के लिए दी जान
भाई-बहिनी मंदिर को मुगल शासन काल से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि मुगल शासन काल में एक भाई अपनी बहन को उसके सुसराल से रक्षाबंधन के दो दिन पहले विदा करके घर ले जा रहा था। इस दौरान बहन डोली में थी।
वहीं, जब वो भीखा बांध के पास पहुंचे तो मुगल (Mughal) सैनिकों ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान मुगल सैनिकों ने बहन को डोली से बाहर निकालकर छेड़खानी करना शुरू कर दी। इसी बीच बहन की रक्षा करते-करते भाई की मौत हो गई। जिसके बाद बहन ने जोर से भगवान को पुकारा तो उस समय धरती फट गई और दोनों भाई-बहन धरती में समा गए और कहार ने कुएं में कूद कर जान दे दी।
पूरी होती है हर मनोकामना
मान्यता है कि जिस जगह दोनों भाई-बहन धरती में समाए थे वहां पर दो बरगद के पेड़ निकल गए, जो कि आपस में लिपटे हुए नजर आते हैं। पेड़ों को देखकर ऐसा लगाता है मानों दोनों एक-दूसरे की रक्षा कर रहे हों। इसी पेड़ को लोग राखी बांधते हैं। वहीं, इन्हीं पेड़ों के पास लोगों ने मंदिर का निर्माण करवाया और उसका नाम भैया-बहिनी मंदिर रख दिया। माना जाता है कि इस मंदिर हर भाई-बहन की मनोकामना पूरी होती है।
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