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शनिवार के दिन क्यों होती हैं पीपल के पेड़ की पूजा, जानें
हिंदु धर्म में न्याय के देवता के नाम से शनिदेव को पूजा जाता है। शनिदेव (Shanidev) सूर्य और देवी छाया के पुत्र हैं। शनि देव की पूजा सूर्य निकलने से पहले या फिर शाम को सूर्यास्त के बाद की जाती है। जो अच्छे कर्म करते हैं उनके उपर सदा शनिदेव की कृपा दृष्टि बनी रहती है और बुरे कर्म करने पर शनिदेव दंड भी देते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शनि दोष, ढैय्या या साढ़ेसाती का प्रभाव होता है, उन्हें पीपल के नीचे पूजा करने को कहा जाता है। शनिवार का दिन शनिदेव को अर्पित है। शनिवार के दिन आपने देखा होगा बड़ी संख्या में श्रद्धालु पीपल की पूजा कर रहे होते हैं। लोग पीपल को जल देते हैं, दीप दिखाते हैं, काले तिल और गुड़ भी अर्पित करते हैं। दरअसल पीपल (Peepal) को हिंदू धर्म में पूजनीय और आदरणीय कहा गया है। शास्त्रों में अनुसार पीपल में सभी देवों और पितरों का वास होता है। शनिवार के दिन पीपल की विधि-विधान से पूजा करने पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार को पीपल की पूजा करने का रहस्य और रोचक कथा जानें –
शनिदेव और पीपल के पेड़ की कथा ( Story of shanidev and peepal tree)
मान्यता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जिन जातकों की कुंडली में शनि दोष होता है। उन्हें इसके कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है। इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं। पहली कथा के अनुसार, एक समय स्वर्ग पर असुरों ने कब्जा कर लिया था। कैटभ नाम का राक्षस पीपल वृक्ष का रूप धारण करके यज्ञ को नष्ट कर देता था। जब भी कोई ब्राह्मण समिधा के लिए पीपल के पेड़ की टहनियां तोड़ने पेड़ के पास जाता, तो यह राक्षस उसे खा जाता। ऋषियों को समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर ब्राह्मण कुमार कहां गायब होते जा रहे हैं।
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ब्राह्मण कुमारों के वापस न लौटने पर ऋषियों ने शनिदेव से सहायता मांगी। इस पर शनिदेव ब्राह्मण बनकर पीपल के पेड़ के पास गए। कैटभ ने शनि महाराज को पकड़ने की कोशिश की, तो शनिदेव और कैटभ में युद्ध हुआ। शनि ने कैटभ का वध कर दिया। तब शनि महाराज ने ऋषियों को कहा कि आप सभी भयमुक्त होकर शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें, इससे शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी। तब से पीपल में शनि देव को पूजा जाता है।