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शनिदेव जी के प्रकोप से बचना है तो कब पहने लोहे की अंगूठी, यहां जानें
Last Updated on September 2, 2023 by sintu kumar
अपने अच्छे भविष्य (Future) के लिए हम कड़ी मेहनत करते हैं। इसके अलावा हम ज्योतिषों (Astrologers) से भी अपने बेहतर कल के लिए परामर्श लेते हैं। भगवान शनिदेव (Shani Dev) की ढैय्या और साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने के लिए भी हम कई प्रकार के उपाय करते हैं। कुछ लोग इसके लिए लोहे की अंगूठी (Ring) पहनते हैं। इसके अलावा इस अंगूठी को राहु (Rahu) और केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भी पहना जाता है, लेकिन हर किसी को लोहे की अंगूठी फायदेमंद साबित नहीं होती है। कुछ लोगों को लोहे की अंगूठी लाभ की बजाय नुकसान ही पहुंचाती है। ऐसा ज्योतिष के जानकारों का मानना है। जानते हैं कि लोहे की अंगूठी किन परिस्थितियों में नहीं धारण करना चाहिए।
क्यों और कैसे पहनें लोहे की अंगूठी
राहु-केतु (Rahu-Ketu) और शनि के बुरे प्रभाव से बचाव के लिए ज्योतिष के जानकार लोहे की अंगूठी पहनने की सलाह देते हैं। लोहे की अंगूठी पुरुष (Man) को दाएं हाथ की बीच वाली उंगली में धारण करना चाहिए, क्योंकि शनि का क्षेत्र मध्यमा उंगली के नीचे होता है। हालांकि विशेष परिस्थिति में इसे बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में भी धारण किया जा सकता है। इसके अलावा लोहे की अंगूठी हमेशा शनिवार (Saturday) की शाम धारण करना शुभ होता है। रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्रों में भी लोहे की अंगूठी धारण करना शुभ माना गया र्है।
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अगर कुंडली (Kundali) में शनि स्थिति में है। इसके साथ ही बुध, शुक्र और सूर्य एक साथ हों तो ऐसे में लोहे की अंगूठी पहनना नुकसानदेह साबित होता है। ऐसे केवल चांदी (Silver) की छल्ला धारण करना शुभ होता है। वहीं, अगर कुंडली में राहु और बुध मजबूत स्थिति में हो तो लोहे की अंगूठी पहनना शुभ होता है।
अगर कुंडली के 12वें भाव में बुध और राहु एक साथ या अलग-अलग होकर नीच का है तो ऐसे में अंगूठी की जगह लोहे का कड़ा हाथ में पहनना चाहिए। कुंडली का 12वां भाव राहु का होता है। ऐसे में राहु के शुभ परिणाम के लिए लोहे की अंगूठी को धारण किया जा सकता है।
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