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मां बगलामुखी जयंती आजः कैसे करें तंत्र की देवी की पूजा यहां पढ़े
Ma Baglamukhi Jayanti: वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण हुआ था, जिसे हर साल मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। माता बगलामुखी की साधना और आराधना के लिए यह दिन बेहद शुभ और मंगलकारी माना गया है। दरअसल, हिंदू धर्म में मां बगलामुखी को तंत्र की देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस खास दिन पर देवी की विधि अनुसार पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय मिलती है। इतना ही नहीं जातक को सुख-समृद्धि का वरदान भी मिलता है।
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देवी बगलामुखी का सिंहासन रत्नों से जड़ा हुआ है और उसी पर सवार होकर देवी शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं। संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त को तीनों लोक मे अजेय है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, साल 2023 में यह जयंती 28 अप्रैल, दिन शुक्रवार को धूम धाम से मनाई जाएगी।
– मां बगलामुखी की पूजा के लिए इस दिन प्रात: काल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण कर लें
– ध्यान रहे साधना अकेले में, मंदिर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ ही बैठकर करें।
– देवी की पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
– उसी दिशा में चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर माता बगलामुखी की फोटो या मूर्ति स्थापित करें।
– देवी के पास स्वच्छ जल से भरा एक कलश स्थापित करें।
– अब दीप प्रज्जवलित करें और हाथ में पीले चावल, पीले फूल, हरिद्रा और दक्षिणा लेकर संकल्प करें।
– संकल्प के बाद आचमन करके हाथ धोएं और आसन पवित्रीकरण करें।
– अब, देवी मां को सिंदूर, रोली, पान, धूप, चावल, बेलपत्र, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
– इसके बाद माता की आरती उतारें और अंत में लोगों के बीच प्रसाद वितरण करें।
पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होती हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती हैं।