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सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं मां सिद्धिदात्री की कृपा से
Last Updated on April 17, 2024 by Himachal Abhi Abhi
नवरात्र की नवमी तिथि को महानवमी कहा जाता है। महानवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा करते हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक का समापन हो जाता है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। अनहोनी से भी सुरक्षा प्राप्त होता है और मृत्यु पश्चात मोक्ष भी मिलता है। महानवमी के दिन कन्या पूजन और नवरात्र हवन का भी विधान है।
मां सिद्धिदात्री को विशेष स्थान प्राप्त है। मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। मां के उपर के दाहिने हाथ में चक्र नीचे वाले में गदा और ऊपर के बाएं हाथ में शंख और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल धारण किए हुए हैं। मां के गले में दिव्य माला शोभित हो रही है। यह कमलासन पर आसीन हैं। इनकी सवारी सिंह है। मां सिद्धिदात्री को कष्ट, रोग, शोक और भय से भी मुक्ति दिलाने वाली देवी माना गया है।
प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर महानवमी व्रत और मां सिद्धिदात्री की पूजा का संकल्प लें। फिर मातारानी को अक्षत्, पुष्प, धूप, सिंदूर, गंध, फल आदि समर्पित करें। उनको विशेषकर तिल का भोग लगाएं। नीचे दिए गए मंत्रों से उनकी पूजा करें। अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें। मां दुर्गा को खीर, मालपुआ, मीठा हलुआ, पूरणपोठी, केला, नारियल और मिष्ठाई बहुत पसंद है। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए आप इनका भोग लगा सकते हैं।
पूजा का मंत्र
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥