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ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े नए नियम अमल में आ चुके हैं, डुप्लीकेसी से बचने के लिए नेशनल रजिस्टर बन रहा है। यानी डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस सिस्टम को खत्म करने के लिए सड़क एवं यातायात मंत्रालय ने 31 मार्च से ही ड्राइविंग लाइसेंस डीएल के लिए नेशनल रजिस्टर बनाने की बात कही थी। मंत्रालय का मकसद ये है कि ड्राइविंग लाइसेंस में वो सारे बदलाव हो, जिससे डुप्लीकेसी से बचा जा सके। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल सड़क हादसे में करीब 1.5 लाख लोगों की मौत होती है। आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर हादसे ड्राइवर की गलती से होते हैं। ऐसे में बहुत सारे मामले ऐसे भी सामने आते है, जिसे ड्राइवर के लाइसेंस पर सवालिया निशान लगता है। मंत्रालय इसी बात से छुटकारा पाने के लिए नेशनल रजिस्टर बनाने वाला है। मंत्रालय कुछ ऐसा करने की भी तैयार कर रहा है कि लापरवाह ड्राइवर के नाम सार्वजनिक किए जाएं, जिनके लाइसेंस जब्त किए गए हैं, ऐसे ड्राइवर को खतरनाक ड्राइवर कहकर सार्वजनिक किया जाएगा। अभी तक अधिकतर राज्यों के ड्राइविंग लाइसेंस नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर के सारथी पोर्टल पर हैं, लेकिन नेशनल रजिस्टर आने के बाद सभी राज्यों से कहा जा रहा है कि वह अगले कुछ महीनों में सभी पुराने ड्राइविंग लाइसेंस को ऑनलाइन करें। मंत्रालय ने सिस्टम को फुल प्रूफ बनाने के लिए डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन की भी अनुमति दे दी है। अभी तक ये जरूरी था कि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के कार्यालय में जांच के लिए गाड़ी ले जानी होती थी, लेकिन डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन के चलते अब इससे छूट मिलेगी। इसके साथ ही वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का रिन्यूअल 60 दिन एडवांस में किया जा सकेगा।
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