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एकीकृत बागवानी विकास परियोजना में बहुत ही बड़ा गड़बड़झाला, फंड का दुरुपयोग
शिमला। हिमाचल (Himachal) में एक बहुत ही बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। केंद्र से मिल रही वित्तीय मदद का दुरुयोग हो रहा है। हिमाचल में चल रही एकीकृत बागवानी विकास परियोजना (Integrated Horticulture Development Project) के तहत राज्य के भीतर और बाहर अधिकारियों के टूअर के निए किराए पर वाहन है तो बागवानी विभाग (Horticulture Department) ने इसके लिए किराए पर दूसरा वाहन क्यों लिया। ऑडिट में यह सर्च सामने आया है और इसकी जांच की जाए।
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एमआईडीएच (MIDH) के प्रोजेक्ट निदेशक के दफ्तर ने एक टैक्सी (Taxi) प्रति माह के हिसाब से किराए पर ले रखी है, ताकि इसमें अधिकारी और कर्मचारी टूअर कर सकें। दस्तावेजों की जांच करने के बाद ऑडिट में पाया गया है कि अधिकारियों ने 1,41 लाख का संदिग्ध भुगतान दूसरी टैक्सी के लिए किया है। विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक ने 7 जनवरी, 2021 को लॉग बुक में हस्ताक्षर किए, जिसमें टैक्सी (एचपी 01ए-6835) और टैक्सी (एचपी01ए- 6589) को 25500 रुपए का भुगतान किया गया। ये वाहन लॉग बुक (Log Book) के पेज संख्या 35 में 21 से 27 सितंबर, 2020 की तारीख में नवबहार से सोहेल पालमपुर-नेरी और घुमारवीं (Ghumarwin) के टूअर में दर्शाया गया है।
इसी तरह से तत्कालीन एसएमएस के उत्तर प्रदेश (UP) और महाराष्ट्र जाने और शिमला आने पर 31 दिसंबर, 2020 से 8 जनवरी, 2021 के टूअर के लिए टैक्सी पर 44900 रुपए खर्च किए। इसके बाद इस अधिकारी ने चंडीगढ़-अबोहर, हिसार और वहां से शिमला (Shimla) आने पर 29200 रुपए व्यय किए। अन्य एसएमएस ने परियोजना के 15500 रुपए शिमला से पंजाब (Punjab) के अबोहर के टूअर के लिए टैक्सी की व्यवस्था करके व्यय किए।
तत्कालीन प्रोजेक्ट निदेशक ने 17 से 19 जनवरी 2021 तक शिमला से चंडीगढ़ (Chandigarh) के टूअर पर 6000 रुपए व्यय किए। तत्कालीन फोटो अफसर पर शिमला से जम्मू टूअर के लिए 20018 रुपए व्यय किए। ऑडिट में साफ शब्दों में लिखा है कि इसमें एमआईडीएच के फंड का दुरुपयोग हुआ है। प्रदेश में हर साल केंद्र सरकार की वित्तीय मदद से एकीकृत बागवानी विकास परियोजना पर 150 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, लेकिन ऑडिट में बताया गया कि इस राशि का दुरुपयोग किया गया। दूसरी ओर दो बैंकों में बचत खाते में जमा की गई परियोजना राशि को लेकर भी आपत्ति उठाई गई है। इस संबंध में बार-बार रिमांइडर देने पर भी विभाग (Deparment) की ओर से कोई हिसाब नहीं दिया गया। इस परियोजना पर अस्सी फीसदी वित्तीय भागीदारी केंद्र और बीस फीसदी राज्य सरकार की रहती है।
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