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पीरियड्स के पहले बदलता है Mood, हो सकती हैं इस सिंड्रोम की शिकार
Last Updated on June 17, 2020 by
नई दिल्ली। पीरियड्स (Periods) हर महिला की जिंदगी में होने वाला वह हिस्सा है जिससे जितनी प्रॉब्लम हों वह उतना ही जरूरी भी है। लेकिन कई बार पीरियड्स के कुछ दिन या कुछ सप्ताह पहले महिलाओं में कुछ बदलाव देखने को मिल जाते हैं जैसे महिलाओं का स्वभाव बहुत तेजी से बदलता है। उसका मूड कब ठीक हो रहा है और कब खराब उसे खुद पता नहीं रहता अगर आप भी ऐसी किन्हीं परेशानियों से जूझती हैं तो आप एक सिंड्रोम का शिकार हो सकती हैं।
पीरियड्स के पहले होने वाले ये लक्षण प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम (PMS) के होते हैं। इस बारे में विशेषयज्ञों का कहना है कि प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome) के दौरान होने वाले ये लक्षण दिनचर्या को प्रभावित करते हैं। कुछ महिलाओं को यह लक्षण शुरुआत में, लेकिन कुछ को 20 की उम्र के बाद महसूस होते हैं। ये लक्षण 30 से 40 की उम्र में यानी मेनोपॉज से पहले बिगड़ सकता है।
इस सिंड्रोम की आशंका तब बढ़ जाती है, जब विटामिन बी 6, कैल्शियम और मैग्नीशियम सही मात्रा में नहीं मिलते स्थिति तब बिगड़ सकती है जब तनाव ज्यादा हो और व्यायाम के लिए समय न निकाल पा रहे हो या फिर कैफीन का ज्यादा सेवन कर रहे हो।
इस समस्या से निपटने के लिए अपनाएं ये तरीके :
खुद का एक एक्सरसाइज रूटीन बनाएं। ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, स्विमिंग या डांस रोजाना 30 मिनट करें। इस तरह के एरोबिक एक्सरसाइज ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करते हैं, तनाव कम करते हैं और मस्तिष्क को अधिक हैप्पी हॉर्मोन रिलीज करते हैं।
यदि पेट फूला हुआ महसूस हो रहा है या उदास महसूस कर रहे हैं, तो चीनी और वसा जैसे सरल कार्बोहाइड्रेट आहार से कम कर लें और फलों, सब्जियों व साबुत अनाज जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट का ज्यादा सेवन करें। वजन कम करने के लिए लो कार्ब डाइट न लें। शरीर में सरल कार्बोहाइड्रेट को कम करने और जटिल कार्बोहाइड्रेट को बढ़ाने से लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है और शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाता है।
कैफीन, शराब, चॉकलेट और नमक का सेवन कम करें। पीएमएस का एक प्रभाव चिंतित और तनाव महसूस कराने के लिए है, लेकिन इससे निपटने का आसान तरीका है आराम करना। अगर इस परेशानी से गुजर रहे हैं तो चुप रहने के बजाय ऐसे लोगों से बात करें जो कुछ इसी तरह का अनुभव कर रहे हों।
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम से जूझ रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह लें, वजाए घरेलू उपायों को अपनाने के। क्योंकि इन समस्याओं का कोई और कारण भी हो सकता है जैसे एनीमिया, थायराइड, इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम। समस्या ज्यादा हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।