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Smart City का ये हाल, इस्तेमाल से पहले ही टूटने लगे अंडरग्राउंड डस्टबिन
Last Updated on February 2, 2020 by Deepak
मैक्लोडगंज। हिमाचल की पहली स्मार्ट सिटी मैक्लोडगंज (धर्मशाला) का पहला प्रोजेक्ट ही सवालों के घेरे में आ गया है। शहर को स्मार्ट सिटी (Smart City) बनाने के लिए चल रहे करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य मनमानी की भेंट चढ़ रहे हैं। घटिया निर्माण कार्य के चलते जहां अंडरग्राउंड डस्टबिन (Underground dustbin) उखड़कर कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं तो वहीं नए बनाए जा रहे डस्टबिन के साथ खाली जगह पर गीली भूमि पर कंक्रीट डाल कर निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। मैक्लोडगंज के प्रवेश द्वार पर निर्माणाधीन अंडरग्राउंड डस्टबिन का निर्माण इसी तरह किया जा रहा है। मैक्लोडगंज में चल रहे निर्माण कार्य पर न तो कोई अधिकारी मौके पर उपस्थित था और न ही संबंधित कंपनी का अधिकारी। कार्यक्रम अधिकारी की फटकार और लिखे गए पत्रों के बाद भी जिम्मेदार कंपनी के अधिकारी निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
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पहले चरण में 16 करोड़ की लागत से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (Solid Waste Management) के तहत अंडरग्राउंड डस्टबिन लगाने का काम शुरू किया गया था। इसका ठेका बेंगलुरु की जोंटा इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कुल 70 डस्टबिन बनाए जाने हैं जिनमें से करीब 54 बन चुके हैं। 16 अभी बनाए जाने हैं लेकिन काम पूरा होने से पहले ही ये डस्टबिन टूटने लगे हैं, जबकि इनका इस्तेमाल भी शुरू नहीं हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत धर्मशाला नगर निगम व धर्मशाला स्मार्ट सिटी क्षेत्र में लगाए गए 102 अंडरग्राउंड डस्टबिन की 7 करोड़ रुपए की लंबित पेमेंट का मामला जर्मनी की कंपनी ने प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ ) व दिल्ली स्थित जर्मनी दूतावास के समक्ष उठाया था। इसके बाद धर्मशाला में यह प्रोजेक्ट पुनः शुरू हुआ जिसके तहत धर्मशाला शहर में 70 नए स्थानों पर अंडरग्राउंड डस्टबिन का निर्माण किया जा रहा है।
धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यहां पर अंडरग्राउंड डस्टबिन जर्मनी की कंपनी ने उपलब्ध करवाए हैं। धर्मशाला नगर निगम में 16 करोड़ रुपए की लागत से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत अंडरग्राउंड डस्टबिन लगाए गए थे। धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रशासन ने अगस्त 2018 को कंपनी को पत्र लिखकर इस कार्य को बंद करने के आदेश दिए थे। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत धर्मशाला में 70 अलग-अलग स्थानों पर अंडरग्राउंड डस्टबिन बनाए जाने हैं। जहां पर यह डस्टबिन बन चुके हैं, उनमें से अधिकांश जगहों पर इसके प्लेटफार्म या तो टूट गए हैं या प्लेटफार्म पर दरारें पड़ गई हैं। केंद्र सरकार ने विदेश की तर्ज पर पहली बार प्रदेश में इस तरह का प्रोजेक्ट मंजूर किया था।
जोंटा इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरु के प्रबंधक अबिशेष कुमार का कहना है कि मैक्लोडगंज के प्रवेश द्वार पर निर्माणाधीन अंडरग्राउंड डस्टबिन का निर्माण निर्धारित मानदंडों के तहत किया जा रहा है। गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा रहा है। जहां पर निर्माण में कमी होगी उसे ठीक किया जाएगा। वहीं, स्मार्ट सिटी धर्मशाला के एजीएम संजीवन धीमान ने कहा कि मैक्लोडगंज के प्रवेश द्वार पर निर्माणधीन अंडरग्राउंड डस्टबिन का निर्माण निर्धारित मानदंडों पर न होने की शिकायत मिली थी। इस संबंध में जोंटा इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरु की कंपनी को लिखित में भी निर्देश जारी किए गए हैं। जहां निर्माण कार्य मानदंडों को नज़रअंदाज कर किया गया है उसे पुनः करने के निर्देश दिए हैं।