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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अब दो मिनट में काबू किए जा सकेंगे बाघ, विदेश से लाई गई दवाइयां
Last Updated on January 12, 2021 by Sintu Kumar
रामनगर। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) में अब खतरनाक वन्य जीवों (Wildlife) को महज दो मिनट में ट्रैंक्यूलाइज कर काबू किया जा सकेगा। विदेशी दवाओं का इस्तेमाल करने वाला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserv) देश पर पहला रिजर्व है। सीटीआर ने ये विदेशी दवाइयां मैक्सिको और अफ्रीका (Mexico and Africa) से मंगवाई हैं। बताया जा रहा है कि इन दवाओं (Medicines) के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ओर से 2017 से ही प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन हाल ही में ये दवाइयां सीटीआर (CTR) को हासिल हुई है। इसकी कीमत 20 लाख रुपये से ज्यादा है।
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इस औषधि का प्रयोग करते हुए हाल ही में कॉर्बेट पार्क के पशु चिकित्सकों ने एक बाघिन और एक बाघ को ट्रैंक्यूलाइज कर सकुशल राजाजी नेशनल पार्क में छोड़ा है। उधर, सीटीआर के पशु चिकित्सक डॉक्टर दुष्यंत शर्मा ने बताया कि हाल ही में बिजरानी रेंज में बाघिन और झिरना रेंज के लालढांग में बाघ को रेस्क्यू करने में इस दवाई का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने बताया कि पहले किसी वन्यजीव को रेस्क्यू करना होता था तो ट्रैंक्यूलाइज करने के बाद उस बेहोश होने में ही 20 मिनट तक लग जाते थे।
इस बीच वन्य जीव भागता था और कई बार तो उसे खोजना भी मुश्किल हो जाता था। इसके साथ ही इतने लंबे समय बाद दवाई के असर होने से वन्य जीव के हमलावर होने की आशंका भी बनी रहती है, लेकिन इस दवाई से दो मिनट में ही वन्य जीव बेहोश हो जाता है। काम पूरा होने के बाद उसे एंटी डॉट लगाई जाती है। इन विदेशी दवाओं में एट्रोफाइन का एंटी डोट नेलट्रेक्जोन, मेडीटोमाइडीन का एंटी डोट एटिपएमेजोल और केरविडाइन का एंटी डोट टोलाजोलाइन हैं।भारतीय वन्यजीव संस्थान के पास यह औषधि पहले से ही है।