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हिमाचल में कल से नहीं ले पाएंगे मछली का स्वाद, मत्स्य आखेट पर लगाया प्रतिबंध
बिलासपुर। हिमाचल में मछली (Fish) खाने का शौक रखने वालों के लिए बुरी खबर है। प्रदेश के पांच बड़े जलाशयों में दो माह के लिए कल से मत्स्य आखेट (Fish hunting) पर प्रतिबंध लगने जा रहा है। दो माह तक इन जलाशयों में मस्त्य आखेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। 16 जून से 15 अगस्त तक इन जलाशयों में मछुआरे बिल्कुल भी मत्स्य आखेट नहीं कर सकेंगे और ना ही कोई किसी भी तौर का आयात-निर्यात किया जा सकता है। ऐसा करने पर मत्स्य अधिनियम के तहत उसको जुर्माना सहित 3 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है।
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यह जानकारी मत्स्य निदेशालय बिलासपुर (Bilaspur) के डायरेक्ट सतपाल मेहता ने मंगलवार को दी। उन्होंने बताया कि मत्स्य प्रजनन को लेकर यह प्रतिबंध (Banned) लगाया गया है। इन दो माह में निदेशालय की ओर से विशेष कैंप का आयोजन किया जाएगा। जिसमें 19 कैंप गोबिंदसागर झील, 3 कोलडैम, 17 कांगड़ा पौंगडैम, 3 चंबा चेमरा व 2 रणजीत सागर में लगाए जाएंगे। इस कैंप में मत्स्य प्रजनन (Fish Breeding) को लेकर कार्य किया जाएगा, जिसमें संबंधित सेक्टर अधिकारियों की डयूटी भी लगा दी गई है। वहीं, यह अधिकारी अपने क्षेत्र में मत्स्य आखेट पर पूरी तरह से नजर रखेंगे। डायरेक्टर सतपाल मेहता ने बताया कि वह स्वयं इन जलाशयों का निरीक्षण भी करेंगे। अगर किसी जलाशय में मत्स्य प्रजनन को लेकर कोई बीज या संबंधित कोई भी दिक्कत आती है, तो उस समस्या को हल किया जाएगा।
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बता दें कि हिमाचल के गोविंद सागर, पौंगडैम, चमेरा व कोलडैम समेत अन्य जलाशयों में मत्स्य उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। बीते साल कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित करने के बाद देश में किए गए लॉकडाउन की वजह से मछली के कारोबार (Fish Business) पर रोक लगा दी गई थी, जिससे मत्स्य आखेट पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा है। उधर, मत्स्य डायरेक्टर सतपाल मेहता (Fisheries Director Satpal Mehta) ने बताया कि कल यानि 16 जून से 15 अगस्त तक मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर कोई मत्स्य आखेट करता पाया जाता है तो जुर्माना सहित प्रशासनिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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