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गुप्त नवरात्र आज से शुरूः शक्ति की उपासना करने वालों के लिए है खास
मां दुर्गा की साधना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व नवरात्र है। शास्त्रों में कुल चार नवरात्र मा का वर्णन है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा दो गुप्त नवरात्र भी होती हैं। अन में एक माघ और दूसरी नवरात्र आषाढ़ माह में पड़ती है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होती है, जो कि नवमी तक चलती है। इस साल माघ गुप्त नवरात्र की शुरुआत 22 जनवरी से होगी। इस दौरान मां दुर्गा को उपासक 9 दिन तक गुप्त तरीके से शक्ति साधना करते हैं। गुप्त नवरात्र में मां कालिके, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा होगी।
माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 जनवरी 2023 को रात्रि 02 बजकर 22 मिनट पर आरंभ होगी। ऐसे में घटस्थापना 22 जनवरी को ही की जाएगी।
गुप्त नवरात्र में घट स्थापना कर कलश में ही सभी शक्तियों का आवाहन किया जाता है। इस आवाह्न पूजन में सिद्ध मंत्र जाप व कार्य के अनुसार जड़ी-बूटियों से हवन करने का महत्व है। सभी प्रकार की पुष्टता के लिए हमारे शास्त्रों में जड़ी-बूटियों से यज्ञादि करने का विधान बताया है। इन यज्ञों से वायु मंडल में व्याप्त कीटाणु-विषाणु नष्ट हो जाते हैं। श्रद्धालु अपने घर में रहकर गुप्त साधना कर नौ देवियों की कृपा पा सकते हैं।
गुप्त नवरात्र में मानसिक पूजा की जाती है। माता की आराधना मनोकामनाओं को पूरा करती है। गुप्त नवरात्र में माता की पूजा देर रात ही की जाती है। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए भक्त को प्रतिपदा के दिन घट स्थापना करना चाहिए। भक्त को सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा करना चाहिए।
अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं का पूजन करने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए।गुप्त नवरात्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।यह नवरात्र तंत्र साधना, जादू-टोना, वशीकरण आदि चीज़ों के लिए विशेष महत्व रखता है। गुप्त नवरात्र के नौ दिनों तक साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या करते हैं। खासकर निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की जाती है। इस भक्ति और सेवा से मां प्रसन्न होकर साधकों को दुर्लभ और अतुल्य शक्ति देती हैं। साथ ही सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं।