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नौसेना को मिला महाबली INS विक्रांत, जानिए क्या है इसकी खासियत
केरल के कोचीन में पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना को INS विक्रांत समर्पित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने नौसेना के लोगो को भी लॉन्च किया। पीएम मोदी ने कहा कि दुनियाभर में भारत के हौसले बुलंद हैं। INS विक्रांत सिर्फ युद्धपोत नहीं बल्कि हम सभी भारतीयों का गर्व है।
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बता दें कि INS विक्रांत नौसेना में शामिल होने वाला पहला विमानवाहक पोत है। ये दुनिया का 7वां सबसे बड़े कैरियर है। भारत के समुद्री इतिहास में देश में तैयार हुआ यह पहला इतना विशाल जहाज है। इसका नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर ही रखा गया है, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ हुए 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। अब इस उपलब्धि के साथ भारत उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं। फिलहाल, इन देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन का नाम शामिल हैं।
Shaping a Dream Building a Nation
Designed by #IndianNavy constructed by @cslcochin, a shining beacon of #AatmaNirbharBharat, #IACVikrant is all set to be commissioned into the #IndianNavy.#INSVikrant#LegendisBack@PMOIndia @DefenceMinIndia @shipmin_india @SpokespersonMoD pic.twitter.com/RVweCActMW
— SpokespersonNavy (@indiannavy) September 2, 2022
ये है INS विक्रांत
INS विक्रांत 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ है। ये 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसके फ्लाइट डेक का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर हो जाता है। यह वाहक एक 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7 हजार 500 नॉटिकल मील (करीब 14 हजार किमी) की दूरी तय कर सकता है।
INS विक्रांत की खासियत
INS विक्रांत में कुल 18 फ्लोर हैं, जिनमें 2400 कंपार्टमेंट्स का निर्माण हुआ है। यहां 1600 स्ट्रॉन्ग क्रू रह सकती है, इसमें महिलाओं की जरूरतों के हिसाब से खास केबिन बनाए गए हैं। INS विक्रांत की खास बात ये है कि इस पर एक आधुनिक सुविधाओं से लैस एक किचन बनाया गया है, जिसमें मौजूद एक यूनिट प्रति घंटा 3 हजार रोटियां तैयार कर सकती है। इसके अलावा इसमें मेडिकल कॉम्प्लेक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16 बिस्तर मौजूद हैं। साथ ही यहां फिजियोथेरेपी क्लीनिक, पैथोलॉजी, आईसीयू, सीटी स्कैनर और एक्स-रे मशीनों के साथ रेडियोलॉजी विंग, डेंटल और आइसोलेशन सुविधाएं मौजूद हैं।
इतने विमानों की है क्षमता
INS विक्रांत पर 30 विमानों का समूह रह सकता है। मिग-29 के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलिकॉप्टर, एमएच-60आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर और हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं। वहीं, समुद्र में दुश्मनों को पटखनी देने के लिए इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हो सकेगी।
ऐसे हुआ निर्माण
जानकारी के अनुसार, इस विमान में 76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल हुआ है। 20 हजार करोड़ रुपए में INS विक्रांत को तैयार करने में दो हजार सीएसएल कर्मी और अप्रत्यक्ष रूप से 13 हजार अन्य लोग भी शामिल रहे। इसके फ्लाइट ट्रायल्स नवंबर तक शुरू हो जाएंगे। यह कैरियर साल 2023 के मध्य तक संचालन के लिए पूरी तरह तैयार होगा।