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Banjar की इस पंचायत में आज तक नहीं पहुंची सड़क, पीठ पर उठाकर ले जाने पड़ते हैं मरीज
परस राम भारती/बंजार। उपमंडल बंजार (Banjar) में तीर्थन घाटी के कई गांव आजादी के दशकों बाद भी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। ग्राम पंचायत नोहंडा कहने को तो विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार है जहां पर जैविक विविधता का अनमोल खजाना छिपा पड़ा है, यहां प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में अनुसंधानकर्ता, प्राकृतिक प्रेमी, पर्वतारोही, ट्रैकर और देशी-विदेशी सैलानी घूमने फिरने का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं, लेकिन इस क्षेत्र के सैकड़ों बाशिंदे आज तक विकास (Development) से कोसों दूर हैं। यहां के लोग अभी तक सड़क, रास्तों, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इस पंचायत के गांव दारन, शूंगचा, घाट, लाकचा, नाहीं, शालींगा, टलींगा, डींगचा, खरुंगचा, नडाहर और झनियार आदि गांव के सैकड़ों लोग अभी तक सरकार व प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब तक उनकी दहलीज तक भी सड़क पहुंच जाए। यहां के लोग अभी तक अपनी पीठ पर बोझ ढोने को मजबूर हैं। यही नहीं जब गांव में कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो मरीज को दुर्गम रास्तों से लकड़ी की पालकी में उठा कर सड़क मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है।
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बीती शाम को भी नोहंडा के गांव नाहीं में सामने आया। गांव का रोशन लाल पुत्र भेद राम उम्र 29 वर्ष को शाम को अचानक दोनों टांगों में दर्द महसूस हुआ और धीरे-धीरे दर्द इतना बढ़ गया कि उसका चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया। गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा (Health facility) ना होने के कारण पूरी रात दर्द सहने के बाद शुक्रवार सुबह ग्रामीणों ने बीमार रोशन लाल को करीब चार किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्ते से पालकी में उठाकर पेखड़ी सड़क मार्ग तक पहुंचाया जहां से उसे निजी वाहन द्वारा इलाज के लिए ले जाया गया। नाहीं गांव के बाशिंदों लोभु राम, दुर्गा दास, लाल सिंह, हिम चन्द, भेद राम, सीता राम, दिले राम, गोपाल चन्द, जॉनी, मेघ सिंह, इंद्र सिंह, तारा चन्द, रमाकांत शलाठ आदि का कहना है कि पहले भी इस तरह की अनेकों घटनाएं घट चुकी हैं। हर वर्ष दर्जनों मरीजों को इलाज के लिए सड़क मार्ग तक पैदल पहुंचाना पड़ता है। इस तरह की स्वास्थ्य संबंधी इमरजेंसी होने पर सैकड़ों लोगों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस क्षेत्र से पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को हाई स्कूल व इससे आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रतिदिन करीब दो से पांच घंटे तक का सफर पैदल तय करना होता है।
कोई भी दवाखाना या सरकारी डिस्पेंसरी भी नहीं
स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां कोई भी दवाखाना या सरकारी डिस्पेंसरी नहीं है लोगों को सर्दी-जुकाम की दवा लेने के लिए भी करीब 6 किलोमीटर का पैदल सफर करके पहाड़ी रास्तों से होकर गुशैनी पहुंचना पड़ता है। यहां पर सभी पहाड़ी रास्ते कच्चे बने हुए हैं और खतरनाक स्थानों पर कोई सुरक्षा इंतजाम (Security arrangements) भी नहीं है। ग्रामीणों ने मीडिया के माध्यम से अपील की है कि उनकी पुकार को सीएम जयराम तक पहुंचाए। लोगों को पूर्ण विश्वास है कि सीएम उनके दर्द को जरूर समझेंगे। लोक निर्माण विभाग उपमंडल बंजार के सहायक अभियन्ता रोशन लाल ठाकुर का कहना है कि नगलाड़ी नाला से नाहीं घाट लाकचा प्रस्तावित सड़क को राज्य सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है लेकिन नाबार्ड से इसकी मंजूरी मिलना बाकी है । मंजूरी मिलते ही सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
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